सांस लेने पर भी टैक्स! इस यूनिवर्सिटी में सैर पर आने वाले लोगों को देना होगा अनोखा कर
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सांस लेने पर भी टैक्स! इस यूनिवर्सिटी में सैर पर आने वाले लोगों को देना होगा अनोखा कर

विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में सुबह शाम घूमने आने वाले लोगों को अब टैक्स देना होगा. इतना ही नहीं जो छात्र एडमिशन लेने वाले हैं, उन्हें भी टैक्स देने पर ही एडमिशन मिलेगा. 

विक्रम यूनिवर्सिटी

राहुल राठौड़/उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में सांस लेने पर भी अब टैक्स देना पड़ेगा. विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में सुबह शाम घूमने आने वाले लोगों को अब टैक्स देना होगा. इतना ही नहीं जो छात्र एडमिशन लेने वाले हैं, उन्हें भी टैक्स देने पर ही एडमिशन मिलेगा. 

जितनी ऑक्सीजन उतना टैक्स
कुलपति अखिलेश कुमार का कहना है विक्रम विश्व विद्धयालय के 300 एकड़ कैंपस में पौधा रोपण किया जाना है. वृक्षा रोपण के महत्व को हम समझे तो 1 मिनट में एक व्यक्ति 7 से 8 लीटर वायु लेता है. जिसमें 20 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है. इस तरह प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 550 लीटर वायु लेता है और एक पौधा दिन भर में 750 लीटर ऑक्सीजन बनाता है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अनुमान लगाया गया कि हर रोज परिसर में 4 से 5 हजार लोग सुबह शाम घूमने आते हैं और कितना ऑक्सीजन लेते हैं.

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टैक्स के रूप में लगाना होगा पौधा
अब घूमने आने वालों को टैक्स के रूप में पौधा लगाना होगा, केवल इतना ही नहीं उसका ध्यान भी रखना होगा. वहीं छात्र एडमिशन लेते समय पौधा लगाते समय एक सेल्फी लेंगे, जो हर महीने रिकॉर्ड में रखनी होगी, जिसके आधार पर भी छात्रों को प्रोजेक्ट में नंबर मिलेंगे. हर एक छात्र को 5 पौधे की जिम्मेवारी दी जाएगी. जिसे वो 3 या 5 साल तक कि पढ़ाई में उसका ध्यान रखकर निभाएगा. उस छात्र के पास आउट होने के बाद उस पौधे की जिम्मेवारी दूसरे छात्र को दे दी जाएगी.

नेचुरल आक्सीजन प्रोडक्शन इंडस्ट्री को बढ़ावा देना उद्देश्य
कुलपति का कहना है कि ऐसा करने से नेचुरल ऑक्सिजन प्रोडक्शन इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा. बढ़ावा देने के लिए ही हमारा ये टैक्स के रूप में पौधा लगवाना उद्देश्य है. कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी का महत्व लोगों ने बेहतर तरह से समझा है. नेचुरल इंडस्ट्री और आर्टीफिसिअल इंडस्ट्री में अंतर समझ कर हमें इस और बढ़ना होगा. क्योंकि आर्टिफिशियल ऑक्सीजन कुछ समय के लिए ही है, जो काफी महंगी भी है. जबकि पौधा छोटा होने पर 750 लीटर ऑक्सीजन दे रहा है, तो सोचिए बड़ा होने पर वही पौधा कितनी ऑक्सीजन देगा और वो भी मुफ्त.

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