CG के इस शहर में गोबर से कंडे के बाद बन रहीं ईंट और लकड़ियां, एक योजना का कमाल
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CG के इस शहर में गोबर से कंडे के बाद बन रहीं ईंट और लकड़ियां, एक योजना का कमाल

छत्तीसगढ़ के इस शहर में मॉडर्न तरीकों ने इस प्रयोग को जन्म दिया है. यहां गोबर का प्रयोग अब कंडों के साथ ही खाद, लकड़ी और ईंट बनाने में भी किया जा रहा है. 

गोबर से बनी लकड़ियां

अम्बिकापुरः गोबर से कंडे और दीए बनने के बारे में तो आपने सुना ही होगा. लेकिन छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अम्बिकापुर में गोबर से ईंट और लकड़ी बनायी जा रही हैं. स्थानीय महिलाओं द्वारा बहुत ही कम पैसों की लागत से यह काम किया जा रहा है.

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2 रुपए किलो में खरीदा जाता है गोबर
गोबर से लकड़ी और ईंट बनाने का काम सरकार की 'गोधन न्याय योजना' के तहत किया जा रहा है. इसे नगर निगम की देखरेख में किया जा रहा है. सरकार ने इसी साल जुलाई 2020 में करोड़ों रुपयों की लागत से इस योजना की शुरुआत की थी. जिसमें क्षेत्र के किसानों और गोपालकों से 2 रुपए प्रति किलो में गोबर खरीद कर उसका उपयोग खाद और अन्य चीजें बनाने में किया जाना था.

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60 हजार में लगवाई मशीन
शासन से अनुमति मिलते ही अम्बिकापुर नगर निगम ने काम शुरू किया. उन्होंने मात्र 60 हजार रुपये खर्च कर डीसी रोड़ स्थित SLRM सेंटर में मशीन लगवाकर काम भी शुरू करवा दिया. काम को देखते हुए महिलाएं आती गई और धीरे धीरे काम बढ़ता गया. यहां बहुत ही कम खर्च में गोबर के प्रयोग से महिलाएं लकड़ी और ईंट का निर्माण कर रही है. जिसका उपयोग अब पेड़ की लकड़ी के स्थान पर किया जाने लगा है.

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अलाव जलाने, शव जलाने में हो रहा उपयोग
नोडल अधिकारी रितेश सैनी बताते है कि शुरुआत में काम सीखने में समय लग रहा था. लेकिन काम शुरू हुआ और गोबर की लकड़ी और ईंट की डिमांड भी बढ़नी शुरू हो गई. सर्दी के मौसम में अलाव जलाने के साथ ही जेल में खाना बनाने के लिए भी इसी का उपयोग किया जा रहा है. जेल प्रबंधन ने तो लकड़ी और ईंटों का ऑर्डर भी दे दिया है. यहां तक कि शव जलाने के लिए भी गोबर की ही लकड़ी का प्रयोग किया जा रहा है.

गोबर से बने होने के कारण इन लकड़ियों और ईंटों से प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंच रहा है. बढ़ते उपयोग को देखते हुए लगता है इसका कारोबार और भी बढ़ाया जा सकता है.

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