MP: ये हैं गौवंश के 'बुल डोनर', इनकी संतानों से मिलती है अपार दूध देने वाली गायों की गारंटी
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MP: ये हैं गौवंश के 'बुल डोनर', इनकी संतानों से मिलती है अपार दूध देने वाली गायों की गारंटी

सीमन सेंटर की मैनेजर डॉ. दीपाली देशपांडे बताती हैं कि इस सेंटर में 200 से ज्यादा बुल मौजूद हैं. ये देश और विदेश की खास प्रजातियों के हैं.

MP: ये हैं गौवंश के 'बुल डोनर', इनकी संतानों से मिलती है अपार दूध देने वाली गायों की गारंटी

संदीप भम्मरकर/भोपाल: मध्य प्रदेश के एक वेटरनरी रिसर्च सेंटर पर ऐसी तकनीक विकसित हो गई है, इसमें भविष्य की वंशावली की क्षमता तय की जा सकती है. सेंट्रल सीमन स्टेशन के नाम से सेंटर में 200 से ज्यादा प्रजातियों के विशेष सांड मौजूद हैं. वीर्य से गायों में कृत्रिम गर्भाधान करके बड़ी मात्रा में दूध देने वाली गाय पैदा की जा सकती हैं. यह सांड अत्यधिक खोज खबर करके विभिन्न मेडिकल टेस्ट से गुजरने के बाद इस सेंटर पर लाए गए हैं. सेंटर ने एक किताब भी लॉन्च कर दी है, जिसके जरिये यहां मौजूद उच्च नस्ल के सांडों की जानकारी लेकर उनका सीमन (वीर्य) हासिल किया जा सकता है. 

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सीमन सेंटर की मैनेजर डॉ. दीपाली देशपांडे बताती हैं कि इस सेंटर में 200 से ज्यादा बुल मौजूद हैं. ये देश और विदेश की खास प्रजातियों के हैं. इस प्रजाति की गाय अत्यधिक मात्रा में दूध देने के लिए जानी जाती हैं. इन बुल का चयन भी बेहद वैज्ञानिक ढंग से किया गया है. मसलन बुल को सेंटर में लाने से पहले उसकी वंशावली देखी जाती है. खास तौर पर उसके माता और पिता. मेडिकल जांच करके पता लगाया जाता है कि उसकी मां या पिता में कोई बीमारी या वायरस तो नहीं है. 6 माह के बुल को सेंटर में लाया जाता है और तकरीबन 2 साल उसकी खास देखरेख की जाती है.

सारी मेडिकल जांच के बाद में जब यह भरोसा हो जाता है कि सांड में किसी तरह का कोई वायरस या बैक्टीरिया नहीं है, तब सीमन कलेक्ट किया जाता है. इस सेंटर पर जर्मनी प्रजाति का एक खास सांड मौजूद है, जो दुनिया में सर्वाधिक दूध देने वाली प्रजाति कहा जाता है. इस सांड के नस्लों से फिलहाल साल के 300 दिन में 35 हजार लीटर दूध लिया जा रहा है. इस सेंटर में भारत में पाई जाने वाली प्रजाति का एक ऐसा बुल भी मौजूद है, जिसकी मां ने 13 हजार लीटर दूध साल के 300 दिन में दिए हैं.

मध्य प्रदेश के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव कहते हैं कि मध्य प्रदेश के गांव वालों को और दुग्ध व्यवसाईयों के लिए यह सेंटर आमदनी बढ़ाने का बड़ा जरिया हो सकता है. लोगों को इस सेंटर में मौजूद सांडों की जानकारी लगे, इसलिए पत्रिका का प्रकाशन किया गया है. इस पत्रिका के जरिये दुग्ध उत्पादक अपनी गौशालाओं में दूध का उत्पादन बढ़ा सकते हैं. 

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खास देखभाल में रखे जाते हैं बुल डोनर
जिन सांडों का इस्तेमाल सीमन संरक्षित करने के लिए होता है, उनकी खास देखभाल होती है. उनको ऐसे प्रोटेक्टेड जोन में रखा जाता है, जहां खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया का डर नहीं. यहां तक कि यहां काम करने वाले लोग भी इस परिसर में वैसे ही प्रवेश करते हैं, जैसा आम लोग किसी अस्पताल के आईसीयू में प्रवेश करने के लिए एहतियात बरतते हैं. 

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