महाभारत से पहले ये कहकर कृष्ण ने तोड़ा था कर्ण का साहस, जानिए

Abhinaw Tripathi
May 10, 2024

Mahabharata Story

महाभारत से जुड़ी कई कहानियां प्रसिद्ध है. इस युद्ध को रोकने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने कूटनीति का सहारा लिया था और दुर्योधन के मित्र कर्ण के साहस को ये कहकर तोड़ने के की कोशिश की थी.

विदुर का घर

पांच गांव की संधि को दुर्योधन के न मानने के बाद विदुर के घर पर कर्ण भगवान श्री कृष्ण से मिलने आए थे.

क्षमा मांगी

इस दौरान कर्ण ने कहा कि माधव राज्य सभा में आपके साथ हुई बद्तमीजी के लिए मैं अपने मित्र दुर्योधन की तरफ से क्षमा मांगना चाहता हूं.

अंग प्रदेश

इसके अलावा कर्ण ने कहा कि आप अंग प्रदेश का राज दे देता हूं, लेकिन आप मेरे मित्र को क्षमा कर दीजिए.

हस्तिनापुर की सीमा

तब विदुर के घर से अंगराज कर्ण को कृष्ण ने हस्तिनापुर की सीमा तक छोड़ने के लिए कहा और फिर कर्ण अपना रथ छोड़कर कृष्ण के रथ पर सवार हो गए.

दुर्योधन

अपने रथ पर बैठाने के बाद के कृष्ण ने कहा कि जब तक तुम उसके साथ हो तब तक दुर्योधन लड़ाई कभी नहीं छोड़ सकता है. इसलिए तुम उसका साथ छोड़ दो .

कुंती का पुत्र

कृष्ण ने कहा कि तुम कुंती के पहले पुत्र हो लेकिन तुम शत्रु का साथ दे रहे हो. तुम अपने भाईयों को शत्रु समझ रहे हो, लेकिन मेरी एक बात मानों और तुम पांडव के दल में चलो और सारे भाई एक हो जाएंगे.

मांगी भीख

वहां पर तुम रहोगे और अर्जुन तुम्हारे द्वार पर खड़े रहेंगे और तुम्हे पाकर कुंती गदगद हो जाएंगी. तुम बस यही एक भीख मुझे दे दो.

मिली नाकामयाबी

लेकिन कर्ण ने फिर कहा कि मैं दुर्योधन के साथ रहकर इतना बड़ा हो हुआ हूं. अगर मैं पीछे हट जाऊंगा तो लोग मुझे कायर कहेंगे. भगवान अपनी कूटनीति नें नाकामयाब रहे.

VIEW ALL

Read Next Story