भगवान श्री कृष्ण ने महर्षि सांदीपनि ऋषि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी.
महर्षि सांदीपनि ऋषि का ये आश्रम क्षिप्रा नदी के तट पर था. यह महाकाल उज्जैन से 7 किमी की दूरी पर है.
12 साल का उम्र में भगवान कृष्ण इस आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने आए थे. उनके साथ भाई बलराम भी थे.
उज्जैन में स्थित महर्षि संदीपनि ऋषि के आश्रम को अब श्री कृष्ण की विद्यास्थली के रूप में जाना जाता है.
यह मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य की एक नदी है नदी धार जिले के उत्तर में निकलती है.
उज्जैन का पवित्र शहर इसके पूर्वी तट पर स्थित है. इस स्थान पर हर 12 साल में सिंहस्थ मेला भी लगता है.
क्षिप्रा नदी विष्णु जी के रक्त से उत्पन्न हुई थी, ब्रह्मपुराण में भी क्षिप्रा नदी का उल्लेख मिलता है.
संस्कृत के महाकवि कालिदास ने अपने काव्य ग्रंथ 'मेघदूत' में क्षिप्रा का प्रयोग किया है, जिसमें इसे अवंति राज्य की प्रधान नदी कहा गया है
ऐसा कहा जाता है कि क्षिप्रा नदी का स्मरण करने मात्र से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.