मध्य प्रदेश में बापू की इन 10 यात्राओं ने दिलाई आजादी
Shyamdatt Chaturvedi
Oct 02, 2023
पहली यात्रा- 28 मार्च 1918, इंदौर
हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में पधारे थे. यह मध्यप्रदेश की उनकी पहली यात्रा थी. इंदौर यात्रा के बाद ही आंदोलन में 'गांधी युग' का सूत्रपात हुआ.
दूसरी यात्रा- 20 व 21 दिसंबर 1920
बापू की दूसरी यात्रा 20 व 21 दिसंबर 1920 को हुई थी. मकशद सत्याग्रहियों के विचार को मजबूती देने के लिए वो वो रायपुर, धमतरी, कंडैल व कुरूद पहुंचे थे.
तीसरी यात्रा- 6 जनवरी 1921, छिंदवाड़ा
तीसरी यात्रा छिंदवाड़ा में 6 जनवरी 1921 को हुई थी. यहां उन्होंने आजादी की अलख जगाने के साथ गंदगी हटाने और स्वच्छता का संदेश भी दिया था.
चौथी यात्रा- 20 व 21 मार्च 1921, सिवनी, जबलपुर
चाथी यात्रा में गांघी 20 व 21 मार्च 1921 को सिवनी, जबलपुर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने लोगों से मुलाकात कर और आजादी की अलख को जगाया था.
पांचवी यात्रा- 1921, खंडवा मेंमई
इस यात्रा के दौरान महात्मा गांधी ने लोगों को सत्य अहिंसा के सात आजादी के लिए लड़ने को प्रेरित किया था.
छठवी यात्रा- सितंबर 1929, भोपाल और सांची
नवाब हमीदुल्ला खां के आमंत्रण गांधी भोपाल आए थे. 10 सितंबर 1929 को हुई जनसभा में उन्होंने बोला था 'रामराज्य का मतलब हिंदू राज्य कतई नहीं है. ये ईश्वर का राज है'
सातवीं यात्रा - 22 नवंबर से 8 दिसंबर 1933
इस यात्रा में गांधी बुरहानपुर, खंडवा, हरदा, बाबई, बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी और बालाघाट में लोगों को एकजुट रहने और हिंदू धर्म में अस्पृश्यता को मिटाने का संदेश दिया था.
आठवीं यात्रा- 20 अप्रैल 1935, इंदौर
साल 1925 में अंग्रेज अधिकारी द्वारा बनाए कम्पोस्ट सिस्टम की महात्मा गांधी ने प्रशंसा लिखी थी. इसके बाद जब वो 1935 में इंदौर आए तो वो इसे समझने के लिए वहां पहुंचे थे.
नवीं यात्रा- फरवरी 1941, जबलपुर व भेड़ाघाट
फरवरी 1941 में महात्मा गांधी जबलपुर व भेड़ाघाट पहुंचे थे. बापू संस्कारधानी से इतना प्रभावित हुए की वो यहां आश्रम भी बनाना चाह रहे थे.
दसवीं यात्रा- 27 अप्रैल 1942, जबलपुर
गांधीजी दूसरी बार जबलपुर 1942 में आए. इस बार उनके दर्शनार्थ जनसैलाब उमड़ पड़ा था. गोलबाजार में उनका भाषण हुआ था.