क्यों रहें संवेदनशील? अवधेशानंद जी से जानें

Abhinaw Tripathi
Jul 01, 2024

Swami Avdheshanand Ji

अगर आपके जीवन में उलझने हों या फिर आप किसी बात को लेकर परेशानी में रहें तो आप अवधेशानंद के इन विचारों को अपना सकते हैं.

मन की शांति

मन की शांति के सामने सभी मूल्यवान वस्तुएं गौण है. अत: सहज- शांत- प्रसन्न रहें.

मनुष्य के संकल्प

मनुष्य के संकल्प में अनंत होने की होने की सामर्थ्य विद्यमान हैं, हम जैसा सोच - विचार और संकल्प करते हैं वैसा ही बन जाते हैं.

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति हमारे संस्कार- साधना, अध्ययन- अनुभव और चरित्र का परिणाम है. अत: अभिव्यक्ति सहज- स्वाभाविक रहें.

नए विचार

अवधेशानंद जी महाराज के अनुसार उन्नति के लिए आवश्यक है जीवन में नए विचारों का होना.

मनुष्य के विचार

मनुष्य के विचार, भावना और प्रतिक्रिया ही अंत: करण का प्रकटीकरण है.

सभी के प्रति संवेदनशील रहें

जो वाणी - व्यवहार, प्रतिक्रिया और विचार खुद को अच्छा नहीं लगता वैसा व्यवहार किसी और के साथ न करें. सभी के प्रति संवेदनशील रहें.

सद् विचार

सद् विचार मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है. विचार में ही जीवन की भवितव्यता और पूर्णता निहित है.

बल की अधीनता

अवधेशानंद गिरि जी कहते हैं कि अपने विचार को किसी के ऊपर थोपें न, क्योंकि बल की अधीनता कोई नहीं स्वीकारता.

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