कथा के अनुसार एक बार रावण लंका पास से गुजर रहा था, तब उसने सोने की लंका को देखा और उसे लालच आ गया.
लंका को पाने के लिए रावण ने ब्राह्मण का रूप लिया और भगवान शिव के पास पहुंचा.
भिक्षा में उसने भगवान शिव से लंका की मांग की.
भगवान शिव रावण को पहचान गए थे फिर भी उसे सोने की लंका दान में दे दी.
जब इस बात का पता माता पार्वती को लगा तो उन्हें क्रोध आ गया.
माता पार्वती ने गुस्से में रावण को कहा कि एक दिन ये सोने की लंका जलकर राख हो जाएगी.
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