'मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है', पढ़िए मुनव्वर राणा के मशहूर शेर

Harsh Katare
Nov 05, 2024

तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने

फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं

कुछ बिखरी हुई यादों के क़िस्से भी बहुत थे कुछ उस ने भी बालों को खुला छोड़ दिया था

कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है

एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है

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