'लेते लेते करवटें तुझ बिन जो घबराता हूँ मैं'... पढ़िए इमाम बख़्श नासिख़ के चुनिंदा शेर

Harsh Katare
Dec 07, 2024

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं

करती है मुझे क़त्ल मिरे यार की तलवार तलवार की तलवार है रफ़्तार की रफ़्तार

काम क्या निकले किसी तदबीर से आदमी मजबूर है तक़दीर से

भूलता ही नहीं वो दिल से उसे हम ने सौ सौ तरह भुला देखा

लेते लेते करवटें तुझ बिन जो घबराता हूँ मैं नाम ले ले कर तिरा रातों को चिल्लाता हूँ मैं

रश्क से नाम नहीं लेते कि सुन ले न कोई दिल ही दिल में उसे हम याद किया करते हैं

ख़ुद ग़लत है जो कहे होती है तक़दीर ग़लत कहीं क़िस्मत की भी हो सकती है तहरीर ग़लत

आने में सदा देर लगाते ही रहे तुम जाते रहे हम जान से आते ही रहे तुम

वो नहीं भूलता जहाँ जाऊँ हाए मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ

तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत हम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं

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