परीक्षाओं में निगेटिव मार्किंग से छात्रों के मस्तिष्क पर पड़ता है असर : हाईकोर्ट
याचिकाकर्ता प्रभाकर 2013 में इस परीक्षा में बैठे थे. उन्होंने एससी श्रेणी के तहत यह परीक्षा दी थी. निगेटिव मार्किंग के चलते वह कट ऑफ से तीन नंबर पीछे रह गए थे.
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चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सीबीएसई द्वारा संचालित होने वाली जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में निगेटिव मार्किंग की व्यवस्था पर फिर से विचार किए जाने की जरूरत है क्योंकि, यह मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है और उन्हें बुद्धिमानी के साथ अंदाजा लगाने से रोकता है. न्यायमूर्ति आर महादेवन ने जेईई (मुख्य) परीक्षा में बैठे एस नेलसन प्रभाकर की एक याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की.
प्रभाकर 2013 में इस परीक्षा में बैठे थे. उन्होंने एससी श्रेणी के तहत यह परीक्षा दी थी. निगेटिव मार्किंग के चलते वह कट ऑफ से तीन नंबर पीछे रह गए थे. इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी भौतिकी और गणित की उत्तर पुस्तिकाओं का फिर से मूल्यांकन करने के लिए सीबीएसई को एक निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का रूख किया था. अदालत द्वारा अंतरिम राहत दिए जाने के बावजूद सीबीएसई ने उन्हें जेईई (एडवांस) में बैठने देने की इजाजत नहीं दी थी.
गौरतलब है कि जेईई मेन ने परीक्षा की तारीखों में बदलाव किया है. जेईई की आधिकारिक साइट के मुताबिक पहले चरण की परीक्षा 6 से 20 जनवरी 2019 के बीच हुई. दूसरे चरण की परीक्षा 8 फरवरी से शुरू होगी और यह 7 मार्च, 2019 तक चलेगी. परीक्षा का द्वितीय भाग 6 अप्रैल से शुरू होगा और इसके एडमिट कार्ड 18 मार्च, 2019 से मिलने लगेंगे. 12वीं कक्षा में कम से कम 75% अंक पाने वाले इस परीक्षा में बैठ पाएंगे. एससी-एसटी वर्ग के छात्र के लिए 65% अंक जरूरी है.
(इनपुट भाषा से)