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महाकुंभ 2025: विदेशी मीडिया में छाई सनातन संस्कृति, दुनियाभर से श्रद्धालु प्रयागराज में जुटे

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 की शुरुआत ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सनातन संस्कृति का परचम लहराया है. विदेशी मीडिया ने इस आयोजन को विशेष प्राथमिकता दी है.

महाकुंभ 2025: विदेशी मीडिया में छाई सनातन संस्कृति, दुनियाभर से श्रद्धालु प्रयागराज में जुटे

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 की शुरुआत ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सनातन संस्कृति का परचम लहराया है. विदेशी मीडिया ने इस आयोजन को विशेष प्राथमिकता दी है. द गार्जियन ने इसे "144 वर्षों में पहली बार आयोजित होने वाला महाकुंभ" बताते हुए लिखा कि यह पर्व हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखता है. अलजज़ीरा ने इसे "पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हजारों हिंदुओं का मेला" कहा. वहीं, इंडिपेंडेंट ने इसे "मानवता का सबसे बड़ा जमावड़ा" करार दिया.

महाकुंभ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

महाकुंभ का महत्व हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं से जुड़ा है. "समुद्र मंथन" की कथा के अनुसार, अमृत कलश से अमरता की कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं. यही कारण है कि इन चारों स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन होता है. प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान को आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का साधन माना जाता है.

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दुनिया भर से श्रद्धालुओं की भागीदारी

महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं. ब्राजील, जर्मनी, जापान, अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों से श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने आए हैं. विदेशी श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को "अलौकिक अनुभव" और "भारत की असली शक्ति" करार दिया. साउथ अफ्रीका से आए एक श्रद्धालु ने कहा, "यहां की ऊर्जा और आस्था देखकर मैं अभिभूत हूं."

विदेशी मीडिया में सकारात्मक चर्चा

रॉयटर्स ने महाकुंभ को "गिगांटिक पिचर फेस्टिवल" का नाम दिया, जबकि द गार्जियन ने इसे "अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव" बताया. अलजज़ीरा ने महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक लोगों के आने की संभावना पर प्रकाश डाला.

डिजिटल युग में महाकुंभ की लोकप्रियता

महाकुंभ 2025 को लेकर इंटरनेट पर भी खासा उत्साह देखा जा रहा है. "महाकुंभ 2025," "प्रयागराज महाकुंभ," और "महाकुंभ होटल" जैसे कीवर्ड गूगल पर ट्रेंड कर रहे हैं. पाकिस्तान, कतर, यूएई, सिंगापुर, और अमेरिका जैसे देशों में महाकुंभ से जुड़ी जानकारियों की खोज बढ़ी है.

विदेशी श्रद्धालुओं का अनुभव

रूसी नागरिकों ने इसे "भारत की आत्मा का दर्शन" बताया, जबकि साउथ अफ्रीका से आए श्रद्धालुओं ने इसे "जीवन बदलने वाला अनुभव" कहा.

महाकुंभ पर सवाल उठाने वालों की बदलती राय

महाकुंभ की भव्यता ने आलोचकों को भी चुप करा दिया है. पाकिस्तान के मौलाना शाहबुद्दीन बरेलवी ने इसे "अद्वितीय आयोजन" बताते हुए कहा कि हज जैसे आयोजनों की तुलना में यह कहीं अधिक व्यवस्थित और विशाल है.

आस्था का महासंगम

महाकुंभ 2025 ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का वैश्विक संगम है. दुनियाभर से आए श्रद्धालु इसकी भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा को देखकर अभिभूत हैं.

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