मुंबई: शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने अपने मुखपत्र सामना (Saamana) में इंटरव्यू दिया. ये इंटरव्यू सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने लिया है. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष राजनीतिक उत्सव ना मनाएं, संकट की गंभीरता को ध्यान में रख कर जिम्मेदारी से पेश आए.


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सीएम उद्धव ने कहा कि सब कुछ भगवान पर छोड़कर नहीं चलेगा, मुंबई की स्थिति सुधर रही है, पर लापरवाह होकर नहीं चलेगा. वॉशिंगटन पोस्ट और विश्व स्वास्थ्य संगठन हमारे प्रयासों की प्रशंसा कर रहे हैं. कोरोना को तीसरा महायुद्ध समझिए. 'लॉकडाउन हटा दो, ये खोल दो और वो खोल दो' ऐसा कहने वाले लोग जिंदा लोगों की जिम्मेदारी लेंगे क्या?


उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं ट्रंप नहीं हूं, मैं अपनी आंखों के सामने लोगों को तड़पते हुए नहीं देख सकता हूं. बिल्कुल नहीं." उद्धव का आरोप है कि उनके काम से बीजेपी के पेट में दर्द होता है. सीएम उद्धव ने कहा कि सब कुछ भगवान पर छोड़कर नहीं चलेगा. मुंबई की स्थिति सुधर रही है, पर लापरवाह होकर नहीं चलेगा. 


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उन्होंने कहा कि कोरोना खत्म नहीं हो रहा है. जब तक हम कोरोना के साथ जीना नहीं सीखेंगे, स्वीकार नहीं करेंगे तब तक परिस्थिति कठिन ही रहेगी. हालांकि अब लोगों ने इसे स्वीकार करना शुरू कर दिया है. मौतों के मामलों को कम करना अब हमारे आगे की सबसे बड़ी चुनौती है. मुंबई में कोरोना नियंत्रण में आ रहा है, इस बारे में स्टेटमेट देना जल्दबाजी होगी.


उद्धव ने आगे कहा कि जो लोग सिर्फ और सिर्फ अर्थव्यवस्था की चिंता करते हैं, उन्हें स्वास्थ्य की चिंता थोड़ी बहुत करनी चाहिए और जो सिर्फ स्वास्थ्य की चिंता करते हैं उन्हें आज के समय में थोड़ी बहुत आर्थिक चिंता भी करनी चाहिए. इन दोनों का तालमेल रखना ही होगा.


देवेंद्र फडणवीस पर चुटकी लेते हुए उद्धव ने कहा कि उनका जो विधायक का फंड है, वो महाराष्ट्र का फंड दिल्ली में देने के कारण वो सभी बातें दिल्ली में जाकर कर रहे हैं. सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि ईश्वर कहते हैं कि मैं तुम्हारे अंदर हूं और इसीलिए तुम मंदिर में मत आओ, पहले इस कोरोना नामक संकट को संभालो. जल्दबाजी में लॉकडाउन किया तो वो गलती है और फिर जल्दी-जल्दी लॉकडाउन हटाया तो वो भी गलत है.


उन्होंने आगे कहा, "हमारे देश में और हमारे राज्य में एपिडेपिक एक्ट सौ साल पहले वाला था, अंग्रेजों के काल का. वो अब 100 साल के बाद पुनर्जीवित किया गया, ये क्यों किया? क्योंकि फिर एक बार वैसी ही परिस्थिति का निर्माण हुआ. केंद्र ने उससे भी आगे और एक कदम बढ़ाया. थोड़ा-सा और कड़क डिजास्टर एक्ट बनाया है. वह क्यों करना पड़ा? इसका कारण, संकट वैसे भी गंभीर है.