Maharashtra Political: महाराष्ट्र की सियासत में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एकसाथ आने की खबर ने हलचल मचा दिया है. राज ठाकरे के बयान के बाद संभावनाओं का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में हम जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्या शिवसेना (यूबीटी) और मनसे नेता गठबंधन के लिए तैयार हैं?
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Maharashtra Political News: महाराष्ट्र की सियासत में अक्सर हलचल देखी जाती है. शिवसेना के दोनों गुटों में अक्सर जुबानी जंग होती रहती है. इसी बीच महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में उद्धव - ठाकरे और राज ठाकरे के फिर से साथ आने की खबरों ने हलचल मचा दिया है. इसकी शुरूआत तब हुई जब राजठाकरे ने एक बयान में कहा था की महाराष्ट्र की जनता के लिए बातें भुलाई जा सकती है. जिसके बाद से संभावनाओं का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में हम जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्या शिवसेना (यूबीटी) और मनसे नेता गठबंधन के लिए तैयार हैं?
हो सकती है सुलह!
टाइम्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के द्वारा हाल में ही दिए गए बयानों से लगता है कि लगभग 20 साल के अलगाव के बाद दोनों में सुलह हो सकती है. शिवसेना (यूबीटी) ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक मैसेज शेयर किया जिसमें कहा गया कि मुंबई और महाराष्ट्र के लिए एकजुट होने का समय आ गया है. शिवसैनिक मराठी अस्मिता (गौरव) की रक्षा के लिए तैयार हैं. उन्होंने आगे लिखा कि दोनों चचेरे भाई फिलहाल विदेश में हैं, राज के अप्रैल के अंत में और उद्धव के मई की शुरुआत में लौटने की उम्मीद है.
खराब प्रदर्शन
पुनर्मिलन की यह अटकलें ऐसे समय में सामने आई हैं, जब दोनों पार्टियां खराब चुनावी प्रदर्शन के साथ अपने सबसे चुनौतीपूर्ण राजनीतिक दौर का सामना कर रही हैं. 2024 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीटें हासिल कीं, जबकि मनसे कोई भी सीट जीतने में विफल रही. हालांकि, दोनों दलों के नेताओं ने कहा है कि राज के आह्वान पर उद्धव की प्रतिक्रिया ने भले ही अटकलों को हवा दी हो, लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है.
बना रहा है तनाव
पार्टी के नेताओं ने संकेत दिया कि सकारात्मक संकेतों के बावजूद ये करना आसान नहीं है. शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के एक प्रतिनिधि ने दोनों भाइयों के विपरीत व्यक्तित्वों पर प्रकाश डाला. राज के 2005 में शिवसेना छोड़ने के बाद से ऐतिहासिक तनाव बना हुआ है, जिसका श्रेय उन्होंने उद्धव को दिया. राज ठाकरे ने लगातार कहा था कि वह केवल बाल ठाकरे के नेतृत्व में ही काम करेंगे.
भविष्य की भूमिका
स्थिति दोनों नेताओं से आगे बढ़कर उनके परिवारों, खासकर उनके बेटों आदित्य और अमित तक पहुंच गई है, जिन्हें भविष्य की नेतृत्व भूमिकाओं के लिए तैयार किया जा रहा है. जय महाराष्ट्र के लेखक प्रकाश अकोलकर ने कहा कि यह पिछले राजनीतिक गठबंधनों से अलग है, क्योंकि इसमें बाल ठाकरे की विरासत को लेकर एक व्यक्तिगत पारिवारिक विवाद शामिल है.
पारिवारिक झगड़ा
अकोलकर ने आगे कहा कि उद्धव और राज के बीच लड़ाई व्यक्तिगत और पारिवारिक झगड़ा है, जहां दोनों भाई पारिवारिक संपत्ति के लिए होड़ कर रहे हैं. संपत्ति हमेशा मौद्रिक नहीं होती. यहां संपत्ति बाल ठाकरे की विरासत है. व्यावहारिक चुनौतियों में दादर और वर्ली जैसे गढ़ क्षेत्रों में सीट-बंटवारे की व्यवस्था और वैचारिक मतभेद शामिल हैं. "जब हम मुंबई में सीट-बंटवारे के समझौतों पर चर्चा करते हैं, तो सीटों का बंटवारा कैसे होगा? जीतने योग्य और न जीतने योग्य सीटों का बंटवारा कैसे होगा? दादर और वर्ली जैसे क्षेत्रों के बारे में क्या, जहां दोनों पार्टियों का मजबूत आधार है? अन्य शहरों के बारे में क्या, जहां शिवसेना (यूबीटी) और मनसे की ताकत है.
विचार धाराओं में आया है बदलाव
उन्होंने विचारधाराओं का सवाल भी उठाया और कहा कि राज ठाकरे जहां खुद को मराठी-हिंदुत्व नेता के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं उद्धव ने पार्टी को और अधिक समावेशी बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है, खासकर मुस्लिम समुदाय के साथ घुलने-मिलने पर. मनसे नेता ने पूछा, अगर उद्धव ने हमसे भाजपा से संबंध तोड़ने के लिए कहा है, तो क्या वह कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही करेंगे? राज खुद को मराठी-हिंदुत्व नेता के रूप में पेश करते हैं, जबकि उद्धव ने ज़्यादा समावेशी दृष्टिकोण अपनाया है, खास तौर पर मुस्लिम समुदाय के प्रति. मनसे प्रतिनिधियों ने इन अलग-अलग दृष्टिकोणों को समेटने और पिछली शिकायतों को दूर करने के बारे में चिंता जताई है. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि क्या दोनों भाईयों में फिर से राजनीति गठबंधन होता है कि नहीं?