Maharashtra Politics News: महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता को लेकर फिर से चर्चा जोर पकड़ रही है. कभी मराठी भाषा की बात होती है तो कभी कुछ और. छावा फिल्म के बाद अब बदले सियासी परिदृश्य में शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने एक बड़ा फैसला लिया है.
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Sharad Pawar NCP News: 'छावा' फिल्म आने के बाद सियासी जगत में भी छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर काफी बातें होने लगी हैं. महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश में छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल शासकों को लेकर एक चर्चा छिड़ चुकी है. औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग विरोध में भी हैं. इन सबके बीच शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) ने एक नई गाडलाइंस जारी कर दी है. इसके तहत पार्टी कार्यकर्ताओं को फोन पर हैलो कहने से रोक दिया गया है.
हैलो नहीं तो क्या कहें?
हां, NCP (शरद पवार) ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे जब भी फोन पर बात करना शुरू करें तो हैलो की जगह 'जय शिवराय' बोलें. इतिहासकार बताते हैं कि हर जगह सम्मान के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज का पूरा नाम बोलना थोड़ा मुश्किल होता था इसलिए इस महान विभूति को सम्मान देते हुए शिवराय कहा गया. छत्रपति शिवाजी महाराज की पूरी मीनिंग इस छोटे से शब्द 'शिवराय' में समाहित हो गई. यहां राय का मतलब राजा से है.
इसी लाइन पर चलते हुए पवार की पार्टी ने नई सियासत शुरू की है. जय शिवराय यानी जय शिवाजी. सांगली में पार्टी की एक समीक्षा बैठक में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ एमएलसी शशिकांत शिंदे ने कार्यकर्ताओं को इस फैसले की जानकारी दी. शिंदे ने कहा कि हमारी पार्टी के स्टेट प्रेसिडेंट के निर्देश के अनुसार जब हम फोन पर किसी का अभिवादन करते हैं तो पहला शब्द 'जय शिवराय' होना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि पार्टी शिवाजी महाराज की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. लोग शिवाजी महाराज को हमसे दूर करना चाहते हैं लेकिन हम उनकी विचारधारा के सच्चे अनुयायी हैं. मैं बहनों और माताओं से भी अनुरोध करता हूं कि वे जय शिवराय बोलें.
दिल्ली में मराठा प्रतिमाएं
इससे पहले खबर आई थी कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मराठा योद्धाओं की प्रतिमाएं स्थापित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने तालकटोरा स्टेडियम में पेशवा बाजीराव प्रथम, महादजी शिंदे और मल्हारराव होलकर की घोड़े पर सवार अवस्था वाली प्रतिमाएं स्थापित करने की अनुमति देने का आग्रह किया है. तालकटोरा स्टेडियम के आसपास का क्षेत्र 18वीं शताब्दी में मुगलों के खिलाफ मराठा साम्राज्य के सैन्य अभियानों का हिस्सा था. इसलिए इसका महत्व अधिक है.
पवार ने कहा कि चूंकि तालकटोरा स्टेडियम नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए वह प्रधानमंत्री से दिल्ली सरकार और एनडीएमसी को पूर्ण आकार की अश्वारोही अवस्था वाली प्रतिमाएं स्थापित करने के लिए आवश्यक अनुमति देने का निर्देश देने के लिए हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं.