Uttan Dargarh: मुंबई शहर से मात्र 5 किलोमीटर दूर, उत्तन इलाके की ये हजरत सैयद बालेशाह पीर दरगाह पर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण का आरोप है, आरोप ये है कि 100 फीट की दरगाह आज अवैध रूप से 70 हजार फीट में फैल गई है, और ये अवैध घुसपैठियों, नशेबाजों और अवैध धर्मांतरण का अड्डा बन गया है.
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(उत्तन से अश्विनी पांडेय की रिपोर्ट)
Hazrat Sayyed Balleshah Pir Dargah: महाराष्ट्र के ठाणे के उत्तन से चौंकाने वाली घटना सामने आई है. उत्तन एक इलाका है जो समुद्री किनारा है. खुफिया एजेंसियों और शासन से जुड़े लोगों को इस इलाके के समुद्री किनारों को लेकर एक विशेष डर है. ये डर, आतंकियों के घुसपैठ से जुड़ा है.
करीब 30 वर्ष पहले 12 मार्च 1993 को मुंबई में सीरियल बम धमाके हुए थे. करीब 12 बम विस्फोट किए गए थे, जिनमें बड़ी मात्रा में RDX का इस्तेमाल हुआ था. साल 2008 में मुंबई शहर में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था. जिसमें पाकिस्तान से आए आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी.
इन दोनों ही वारदात में एक खास modus operandi से काम किया गया था. दोनों वारदात में आतंकियों ने समंदर के रास्ते का इस्तेमाल किया था. वर्ष 1993 में हुए बम धमाकों के लिए जो विस्फोटक सामान लाया गया था, वो रायगढ़ के शेखड़ी के समुद्री किनारे पर उतारा गया था.
2008 में जिन 10 आतंकियों ने मुंबई को दहलाया था वो भी समंदर के रास्ते मुंबई में दाखिल हुए थे. हम ये सब आपको इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि ठाणे के उत्तन दरगाह इलाका भी समुद्री किनारा है. और इस दरगाह को लेकर कई गंभीर आरोप लग रहे हैं जैसे
उत्तन दरगाह पर आसपास की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप है.
दरगाह के एक मौलवी पर नाबालिग का धर्मांतरण करके निकाह करवाने का आरोप है.
दरगाह पर 8 अवैध घुसपैठियों को पनाह देने का आरोप है.
दरगाह पर तहखाने को नशेबाजी का अड्डा बनाने का आरोप है.
दरगाह पर आसपास के Mangrove forest के पेड़ों को काटने का आरोप है.Mangrove forest, विशेष पेड़ों के समूह का जंगल होता है, इन जंगलों के पेड़ आमतौर पर समुद्री किनारों पर ही पाए जाते हैं.
DNA : दरगाह की लोकशन, सुरक्षा एजेंसियों की टेंशन. धार्मिक स्थल के नाम पर 'अवैध कब्जा' क्यों?#DNA #DNAWithSourabh @saurabhraajjain pic.twitter.com/294GGLUp7O
— Zee News (@ZeeNews) March 14, 2024
उत्तन का हजरत सैय्यद बालेशाह पीर दरगाह, एक ऐसी लोकशन पर है, जिसके एक तरफ Mangrove forest है जो समंदर के किनारे पर है. यानी दरगाह के पीछे पूरा इलाका जंगल है और फिर खुला समंदर है. यही बात देश की सुरक्षा से जुड़े लोगों को परेशान कर रही हैं. वजह ये भी है कि दरगाह ट्रस्ट पिछले कई वर्षों से धीरे-धीरे जंगल वाली जमीन को कब्जाता जा रहा है. और दरगाह पर जो आरोप लग रहे हैं, उसने इस पूरे इलाके को संवेदनशील बना दिया है.
ये दरगाह आजकल महाराष्ट्र विधानसभा में चर्चा का विषय बनी हुई है. इस दरगाह पर ऐसे आरोप लगे हैं, जिसने देश की सुरक्षा एजेंसियों को भी चौकन्ना कर दिया है. सुरक्षा एजेंसियों को डर है, जिस तरह की समुद्री साजिश वर्ष 1993 और 2008 में रची गई थी, कहीं वैसी ही साजिश इस दरगाह से जुड़े समुद्री किनारों पर ना रच दी जाए.
मुंबई शहर से मात्र 5 किलोमीटर दूर, उत्तन इलाके की ये हजरत सैयद बालेशाह पीर दरगाह पर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण का आरोप है, आरोप ये है कि 100 फीट की दरगाह आज अवैध रूप से 70 हजार फीट में फैल गई है, और ये अवैध घुसपैठियों, नशेबाजों और अवैध धर्मांतरण का अड्डा बन गया है.
दरगाह के पास ही उत्तन के जेट्टी भी है, जहां पर बोट्स की आवाजाही होती है. लेकिन दरगाह के पीछे पूरा इलाका सुनसान जंगल है. और इस वजह से ये असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है. हमारी टीम ने दरगाह के आसपास हुए अवैध निर्माण को देखा.
उत्तन की इस दरगाह को लेकर सवाल पिछले कई वर्षों से उठाया जा रहा था. लेकिन जब ये मामला विधानसभा में उटा, तो सियासी हंगामा मच गया. विधानसभा में जब इस दरगाह को लेकर सवाल उठे तो प्रशासन की तरफ अवैध निर्माण को तोड़ने का नोटिस जारी किया गया. दरगाह पर उठ रहे आरोपों को दरगाह ट्रस्ट गलत मानता है. उनके मुताबिक उत्तन की ये दरगाह पुर्तगाली शासन के समय से है, और जो आरोप लग रहे हैं, वो गलत हैं.
उत्तन की इस दरगाह को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी डाली गई है. इस याचिका में ही दरगाह के संचालकों के अवैध निर्माण और सरकारी जमीन पर कब्जे के आरोप लगाए गए हैं.
अवैध निर्माण को लेकर मिरा भयंदर महानगर पालिका को लगातार शिकायतें मिल रही थीं. लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी. अब दरगाह ट्रस्ट के 22 मार्च तक अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए कहा गया है और ये बताया गया है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रशासन ये काम करेगा.