एलफिंस्टन भगदड़: अदालत ने समस्या पर आंख बंद करने को लेकर कायकर्ताओं की खिंचाई की
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एलफिंस्टन भगदड़: अदालत ने समस्या पर आंख बंद करने को लेकर कायकर्ताओं की खिंचाई की

घटना के तुरंत बाद ही HC में चार याचिका दायर करके अनुरोध किया गया कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए रेलवे को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं. अदालत ने संज्ञान लेते हुए कहा कि कई लोगों की मौत के बाद ही कार्यकर्ताओं को इस खतरे का आभास हुआ और वे हमारे पास याचिका लेकर आए.

अदालत इस मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद करेगी. (file)

मुंबई: बम्बई उच्च न्यायालय ने आज "तथाकथित कार्यकर्ताओं" की खिंचाई करते हुए कहा है कि उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा के मुद्दे पर एलफिंस्टन रोड स्टेशन पर भगदड़ मचने के बाद ही क्यों संपर्क किया. अदालत ने कार्यकर्ताओं से पूछा कि कई लोगों की मौत के बाद ही कार्यकर्ता क्यों 'गंभीर और संवेदनशील' मुद्दे पर अपनी आंख खोलते हैं. बता दें एलफिंस्टन रोड स्टेशन के एक फुट ओवर ब्रिज पर 29 सितंबर को मची भगदड़ में 23 लोगों की मौत हो गई थी और 30 से ज्यादा घायल हो गए थे.

घटना के तुरंत बाद ही उच्च न्यायलय में चार याचिका दायर करके अनुरोध किया गया कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए रेलवे को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं. अदालत ने संज्ञान लेते हुए कहा कि कई लोगों की मौत के बाद ही कार्यकर्ताओं को इस खतरे का आभास हुआ और वे हमारे पास याचिका लेकर आए.

मुख्य न्यायाधीश मंजूला चेल्लुर और न्यायमूर्ति एन एम जामदार की एक खंडपीठ ने कहा, “याचिका के अनुसार संबंधित स्टेशन पर यह ब्रिज 1867 से है. इस तारीख तक...23 मौतें होने तक...सभी लोग इस समस्या के प्रति अपनी आंखें बंद किए रहे. अब जब घटना हो गई तब ये तथाकथित कार्यकर्ता जगे हैं और याचिका डाली गई है.' 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “यह मामला गंभीर है. यह एक गंभीर समस्या है लेकिन हमारे समक्ष ये याचिकाकर्ता सिर्फ खुद का विज्ञापन करना चाहते हैं. हमारा विचार है कि यह मामला गंभीर और संवेदनशील है इसलिए हम अदालत की मदद के लिए न्याय मित्र नियुक्त करेंगे.” अदालत इस मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद करेगी.

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