विदर्भ को अलग राज्य बनाना व्यावहारिक नहीं: पृथ्वीराज चव्हाण
Advertisement

विदर्भ को अलग राज्य बनाना व्यावहारिक नहीं: पृथ्वीराज चव्हाण

विभिन्न कारकों के चलते विदर्भ में उद्योगों शुरू करने से जुड़ी सीमाबद्धताओं को रेखांकित करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि इस क्षेत्र को अलग राज्य बनाना आर्थिक तौर पर व्यावहारिक नहीं है।

मुंबई : विभिन्न कारकों के चलते विदर्भ में उद्योगों शुरू करने से जुड़ी सीमाबद्धताओं को रेखांकित करते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि इस क्षेत्र को अलग राज्य बनाना आर्थिक तौर पर व्यावहारिक नहीं है।

चव्हाण ने यह भी कहा कि जब तक बड़ी निर्माण इकाइयां एमआईएचएएन (मल्टी मोडल इंटरनेशनल कार्गो हब एंड एयरपोर्ट ऐट नागपुर) में संचालन शुरू नहीं कर देतीं, तब तक विदर्भ और नागपुर में वांछित औद्योगिक वृद्धि हासिल नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि बिक्री कर विभाग को करों से होने वाली कुल वार्षिक आय 85 हजार करोड़ रुपये है। राज्य के कुल जीडीपी का लगभग 70 प्रतिशत राजस्व पांच शहरों से आता है। ये शहर हैं- मुंबई, ठाणे, पुणे, रायगढ़ और नागपुर। विदर्भ को अलग राज्य बनाना भाजपा का चुनावी एजेंडा था और यह वित्तीय तौर पर व्यावहारिक नहीं है।

उन्होंने कहा कि यदि कोई विदर्भ के 10 जिलों से वैट के जरिए जुटाए गए राजस्व के आंकड़ों पर गौर करे तो वह पाएगा कि वर्धा का वैट संग्रहण महज 12 करोड़ रुपये का है जबकि यवतमाल का योगदान 21 करोड़ रुपये से ज्यादा का नहीं है। इसी तरह अन्य जिलों का संग्रहण भी एक अलग राज्य बनाने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। चव्हाण ने यह भी कहा कि खदानों और बाघ अभयारण्यों से आने वाला राजस्व नगण्य है और पर्यावरणीय नियमों के चलते विदर्भ में पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील जिलों में उद्योग शुरू करने की अपनी सीमाएं हैं। पुणे के एक औद्योगिक टाउनशिप और ऑटो केंद्र के रूप में तब्दील हो जाने के पीछे के कारणों के बारे में चव्हाण ने कहा कि टेल्को ने वहां उद्योगों की नींव रखी और बाद में बजाज और अन्य उद्योगों ने पुणे को चुना क्योंकि वह मुंबई में बंदरगाह के सबसे पास था। 1970 और 80 के दशक में सरकार ने भी उद्योगों के लिए सस्ती दर पर जमीन उपलब्ध करवाई।

उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकाल के दौरान हमने टीसीएस और इंफोसिस को नागपुर में अपनी आईटी इकाइयां शुरू करने के लिए राजी करने की कोशिश की। लेकिन यह काफी नहीं है। यदि एमआईएचएएन में कम से कम एक बड़ी निर्माण इकाई काम करना शुरू कर देती है तो सहयोगी उद्योग भी इस दिशा में बढ़ेंगे। ज्ञात हो कि महाराष्ट्र के महाधिवक्ता श्रीहरि अणे लगातार विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग करते रहे हैं। बहरहाल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ये अणे के निजी विचार हैं।

चव्हाण ने कहा कि उन्होंने मिसाइल निर्माण की दिग्गज कंपनी भारत डायनेमिक्स को अतिरिक्त अमरावती औद्योगिक क्षेत्र के नंदगांव पेठ में आधारशिला रखने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण परियोजना मूर्त रूप नहीं ले सकी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भारत डायनेमिक्स के साथ करार पूरा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी चाहिए।

Trending news