Query For Money: ऐसा लगता है महुआ मोइत्रा पर गाज गिरनी तय है. लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने 'रिश्वत लेकर प्रश्न पूछने' संबंधी आरोपों के मामले में गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को संसद के निचले सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की है. बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने बैठक की जिसमें समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है. बैठक के बाद सोनकर ने बताया कि समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट को स्वीकार करने का समर्थन किया और चार ने इसका विरोध किया है. बताया जा रहा है कि समिति ने मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की है. अब रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजी जाएगी.


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कांग्रेस सांसद भी महुआ के खिलाफ!
खास बता है कि जिन छह सदस्यों ने रिपोर्ट को स्वीकार करने का समर्थन किया है उसमें एक कांग्रेस सांसद भी शामिल हैं. ये कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस सांसद परनीत कौर हैं. परनीत पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह की पत्नी हैं. हालांकि खुद अमरिंदर अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. रिपोर्ट के पक्ष में जो सांसद हैं उनमें विनोद सोनकर (बीजेपी), सुमेधानंद सरस्वती (बीजेपी), हेमंत गोडसे (शिवसेना), परिणति कौर (कांग्रेस), अपराजिता सारंगी (बीजेपी) और राजदीप रॉय (बीजेपी) शामिल हैं. जबकि विरोध में दानिश अली (बसपा), वी वैथिलिंगम (कांग्रेस), पी आर नटराजन (CPIM) और गिरिधारी यादव (JDU) शामिल हैं.


अभिषेक बनर्जी ने साधा निशाना
उधर पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अपनी सांसद महुआ मोइत्रा का समर्थन किया है. तृणमूल कांग्रेस महासचिव अभिषेक बनर्जी ने दावा किया कि जो भी सरकार से सवाल करता है, उसे केंद्र सरकार द्वारा "परेशान" किया जाता है. बनर्जी राज्य में कथित स्कूल नौकरी घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश होने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने यह सवाल भी किया कि मोइत्रा के खिलाफ आरोप साबित होने से पहले ही संसद की एक समिति उनके खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कैसे कर सकती है.


लड़ाई में TMC का पूरा समर्थन 
बनर्जी ने यह भी सवाल किया कि जो कोई भी अडाणी मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछ रहा है, उसे परेशान किया जा रहा है. लोकसभा की आचार समिति महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोप साबित होने से पहले ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई कैसे कर सकती है. टीएमसी पार्टी ने मोइत्रा का अब तक सीधा बचाव नहीं किया है और एक समय तो यहां तक कहा था कि वह इस मुद्दे पर आचार समिति की रिपोर्ट का इंतजार करेगी. फिलहाल बनर्जी के स्पष्ट समर्थन से यह संकेत मिलता है कि टीएमसी सांसद मोइत्रा के लिए आगे की लड़ाई में अपना पूरा समर्थन देगी.


'आरोप साबित किए बिना..?
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव बनर्जी ने सवाल किया कि किसी सांसद के खिलाफ एक भी आरोप साबित किए बिना उसके खिलाफ कार्रवाई कैसे शुरू की जा सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि समिति ने अभी तक भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने में बहुत तत्पर है, जो सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ लड़ रहे हैं. बनर्जी ने सवाल किया कि यदि उनके पास कोई सबूत नहीं है तो आचार समिति निष्कासन की सिफारिश कैसे कर सकती है.


माकपा का अलग दावा
हालांकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने हालांकि दावा किया कि टीएमसी मोइत्रा से जुड़े विवाद पर बोलने से कतरा रही है, क्योंकि उन्होंने अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बोला है. यह पूछे जाने पर कि मोइत्रा मुद्दा सामने आने के बाद टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव को इस पर टिप्पणी करने में कई दिन क्यों लग गए, माकपा केंद्रीय समिति सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल इस मामले पर बोलने से कतरा रहा है. उन्होंने कहा, 'महुआ मोइत्रा ने अडाणी और (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बोला है, इसलिए टीएमसी टिप्पणी नहीं करना चाहती है. 


बता दें कि मामले में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से संपर्क किया था और उन पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडाणी समूह को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था. एजेंसी इनपुट