Green Crackers Permission News: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री की आज अनुमति दे दी. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई लोगों को फैसला पसंद नहीं आया है. उन्होंने इस फैसले के बाद ट्वीट करके खास अंदाज में तंज भी कस दिया.
Trending Photos
)
Mahua Moitra Sarcasm on Permission to Burn Green Crackers: सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिल्ली एनसीआर में आतिशबाजी पर बैन लगा दिया था लेकिन अब ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दे दी है. इस आदेश पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने खास अंदाज में तंज कसा है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट शेयर कर लिखा, 'लोगों ने इस सरकार को चुना. यह सरकार चाहती थी कि पटाखे वापस आएं. हर किसी को वह मिला जो वह चाहता था. इसलिए कृपया इस साल हवा की गुणवत्ता को लेकर समय बर्बाद न करें.'
अदालत ने ग्रीन पटाखे चलाने की दी अनुमति
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले प्रदूषण और स्वास्थ्य के खतरों का हवाला देते हुए दिल्ली-एनसीआर में आतिशबाजी की बिक्री और चलाने पर पूरी तरह रोक लगा दी थी. यह रोक कई वर्षों तक जारी रही. हालांकि बुधवार को अदालत ने ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति दे दी है. यह अनुमति दिवाली से महज 4 दिन पहले आई है, जिस काफी लोगों ने खुशी जाहिर की है.
सरकार के पर्यावरणीय फैसले पर कटाक्ष
लेकिन कई लोगों को कोर्ट का यह फैसला रास नहीं आया है. वे इस फैसले पर बीजेपी सरकार का उपहास करते हुए तंज कस रहे हैं,. जिनमें महुआ मोइत्रा फिलहाल सबसे आगे दिख रही हैं. वे अक्सर अपने विवादित बयानों और सोशल मीडिया गतिविधियों के लिए सुर्खियों में रहती रही हैं. मोइत्रा की ओर से बुधवार को किया गया यह तंज भी वायरल हो गया है. जहां लोग इसे मज़ाक में ले रहे हैं, वहीं कुछ इसे सरकार के पर्यावरणीय फैसलों पर कटाक्ष मान रहे हैं.
People of Delhi wanted this govt. The Govt wanted crackers to return. Everyone got what they wanted. Please let’s not waste any time this year moaning about air quality.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) October 15, 2025
क्या प्रदूषण के लिए केवल पटाखे जिम्मेदार?
ऐसा नहीं है कि दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या नहीं है. पिछले कुछ वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो दिवाली के समय वायु प्रदूषण चरम पर पहुंच जाता रहा है. इस दौरान पीएम 2.5 और पीएम 10 का लेवल कई बार सुरक्षित सीमा से कई गुना ऊपर पहुंच जाता हैं, जिससे सांस लेने से जुड़ी दिक्कतें बढ़ जाती हैं. लेकिन इस प्रदूषण के लिए अकेले आतिशबाजी जिम्मेदार नहीं होती. इस मौसम में हवा का बहाव काफी कम हो जाता है जिससे धूल मिट्टी के कण ऊपर नहीं उठ पाते. साथ ही आसपास के इलाकों में पराली जलने से भी प्रदूषण की समस्या बढ़ती है.
ग्रीन पटाखों से कितना पड़ेगा असर?
ऐसे में ग्रीन पटाखों की अनुमति को बेहतर विकल्प माना जा रहा है. इन्हें पारंपरिक पटाखों के मुकाबले कम हानिकारक माना जाता है. इनमें रासायनिक तत्वों की मात्रा कम होती है और धुएं का स्तर भी कम होता है. हालांकि एक्सपर्टों का कहना है कि विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम प्रदूषण को पूरी तरह कम नहीं करेगा, लेकिन कुछ हद तक सुरक्षित उत्सव मनाने में मदद कर सकता है. अब देखना यह होगा कि दीवाली के दौरान वायु गुणवत्ता कैसी रहती है और ग्रीन पटाखों का प्रभाव कितना सुरक्षित साबित होता है.