कोर्ट मार्शल ने मेजर जनरल को आईपीसी की धारा 354 यानि किसी महिला की मर्यादा भंग करने की कोशिश और सेना की धारा 45 के तहत सज़ा दी.
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नई दिल्ली: सेनाध्यक्ष ने मेजर जनरल एम एस जसवाल को तुरंत सेना से बर्खास्त करने को मंजूरी दे दी है. जनरल जसवाल पर सेना की एक महिला कैप्टन ने दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था. जनरल जसवाल को पिछले साल दिसंबर में सेना की पश्चिमी कमान के अतंर्गत अंबाला में हुए एक कोर्ट मार्शल में सेना से बर्खास्त करने की सिफारिश की गई थी. कोर्ट मार्शल ने जनरल जसवाल को आईपीसी की धारा 354 यानि किसी महिला की मर्यादा भंग करने की कोशिश और सेना की धारा 45 के तहत सज़ा दी.
सेनाध्यक्ष की मंज़ूरी के बाद जनरल जसवाल को न केवल अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि उन्हें रिटायर होने के बाद मिलने वाले दूसरे लाभ भी नहीं मिलेंगे. ये मामला 2016 का है जब जनरल जसवाल असम राइफल्स में इंसपेक्टर जनरल के पद पर नागालैंड के कोहिमा में तैनात थे.
उनपर उनकी एक अधीनस्थ महिला कैप्टन ने आरोप लगाया था कि वो उन्हें प्रताड़ित करते थे और दुर्व्यवहार करते थे. उसने ये आरोप भी लगाया था कि जनरल जसवाल उसे देर रात तक ऑफिस में आने को कहते थे और उसके साथ दुर्व्यवहार करते थे. महिला कैप्टन की शिकायत के बाद सेना ने रांची स्थित 17 वीं कोर में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी शुरू की जिसने आरोपों को सही पाया और कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए.
सेना के एक लेफ्टिनेंट जनरल इस कोर्ट मार्शल के अध्य़क्ष थे और छह दूसरे मेजर जनरल इसके सदस्य बनाए गए, जिसने पिछले साल दिसंबर में अपना फैसला सुना दिया. सेना में इससे पहले भी यौन दुर्व्यवहार के आरोप में कई वरिष्ठ सैनिक अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है.
कुछ साल पहले लेह में तैनात एक मेजर जनरल को भी अपनी अधीनस्थ महिला अधिकारी के साथ छेड़छाड़ का दोषी पाया गया था और उन्हें सेना से निकाल दिया गया था. हाल ही में एक ब्रिगेडियर को अपने साथी कर्नल की पत्नी के साथ अवैध संबंध रखने के आरोप में सेना से निकाला जा चुका है.