मूर्ति विसर्जन मामले पर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देंगी ममता बनर्जी
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मूर्ति विसर्जन मामले पर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देंगी ममता बनर्जी

कलकत्‍ता हाईकोर्ट के फैसले को अब सीएम ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देंगी. पहले कहा गया था कि वह इस मामले में शीर्ष कोर्ट में जा सकती हैं.

ममता बनर्जी ने पिछले साल भी ऐसा ही आदेश दिया था. (फाइल फोटो)

कोलकाता : दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की तारीख टालने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले पर आए कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को अब सीएम ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देंगी. पहले कहा गया था कि वह इस मामले में शीर्ष कोर्ट में जा सकती हैं. लेकिन अब तृणमूल नेता कल्‍याण बनर्जी ने इस संभावना से इनकार किया है. उन्‍होंने कहा है कि ह हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देंगे. हाईकोर्ट ने मोहर्रम के दिन रात 12 बजे तक दिया था मूर्ति विसर्जन का आदेश देते हुए ममता बनर्जी सरकार के आदेश को पलट दिया था.

  1. तृणमूल नेता ने शीर्ष कोर्ट में जाने की संभावना से किया इनकार
  2. हाईकोर्ट ने मोहर्रम के दिन रात 12 बजे तक विसर्जन का दिया था आदेश
  3. ममता सरकार ने पहले मोहर्रम के दिन विसर्जन पर लगाई थी रोक

इससे पहले ममता ने कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा दुर्गा मूर्ति विसर्जन के मसले पर राज्य सरकार के फैसले को रद्द किए जाने के पर कहा था कि चाहे कोई मेरा गला काट दे, लेकिन कोई भी मुझे यह न बताए कि मुझे क्या करना है. ममता बनर्जी ने कहा कि शांति बनाए रखने के लिए जो करना है वो मैं करूंगी. शायद इसीलिए ममता सरकार के सुप्रीम कोर्ट की ओर जाने के फैसले को उनके इस बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है.

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गौरतलब है कि गुरुवार को मुर्हरम के जुलूस के साथ दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर राज्‍य सरकार की रोक के संबंध में कलकत्‍ता हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए ममता सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा है कि मुहर्रम के दिन भी रात 12 बजे तक मूर्ति विसर्जन हो सकेगा. हाई कोर्ट ने इस संबंध में ममता बनर्जी सरकार के सभी आदेश खारिज किए. हाई कोर्ट ने पुलिस से कहा कि विसर्जन और मुहर्रम के लिए रूट फाइनल करे. इससे पहले इस मामले में कोलकाता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था, 'कुछ भी गलत होने की आशंका के आधार पर धार्मिक मामलों पर बंदिश नहीं लगा सकते हैं. आपके पास अधिकार हैं, पर असीमित नहीं. आप सभी नागरिकों को बराबरी की नजरों से देखें.'

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