West Bengal Jagannath Temple: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जुलाई के पहले हफ्ते में पूर्व मेदिनीपुर जिले में जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन करेंगी. सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन का कहना है कि 7 जुलाई से शुरू हो रही रथ यात्रा के पहले दिन ममता बनर्जी मंदिर का उद्धाटन कर सकती हैं. ममता का यह कदम ऐसे मौके पर आया है, जब उन पर मुस्लिमों के तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे हैं.


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एक सरकारी सूत्र ने बताया, 'मंदिर उद्घाटन के लिए तैयार है. हमें मुख्यमंत्री के ग्रीन सिग्नल का इंतजार है. जल्द ही उद्घाटन की तारीख का ऐलान करेंगे.' पूर्वी मेदिनीपुर में बने इस जगन्नाथ धाम को ओडिशा के पुरी में बने जगन्नाथ मंदिर जैसा ही बनाया गया है. यह न्यू दीघा रेलवे स्टेशन के पास सी साइड रिसॉर्ट शहर में स्थित है. 


मुस्लिम तुष्टीकरण का दाग धोने की कोशिश!


अकसर ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे हैं. लेकिन हिंदुओं के बीच पैठ बनाने के लिए यह उनका पहला प्रोजेक्ट नहीं है. कई ऐसे मौके आए हैं, जब उन्होंने संतुलन बैठाने की कोशिश की ताकि ये वोट बैंक उनके हाथ से ना छिटक जाए.


2020 में ममता बनर्जी ने 8,000 गरीब सनातन ब्राह्मण पुजारियों के लिए 1,000 रुपये मासिक भत्ता और मुफ्त आवास की घोषणा की थी. पिछले कुछ वर्षों में, टीएमसी सरकार ने दुर्गा पूजा समितियों को वित्तीय सहायता और बिजली बिल में सब्सिडी भी दी है. 


सिर्फ मंदिरों ही नहीं, ममता सरकार ने हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ दरगाह के डेवलपमेंट के लिए भी फंड दिया है, जो एक मशहूर मुस्लिम तीर्थ स्थल है.2 021 के विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान, पश्चिम बंगाल की सीएम को हर दिन चंडी पाठ करने का दावा करने के बाद विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा था.


143 करोड़ की आई लागत


राज्य के शहरी विकास मंत्रालय के मुताबिक, 22 एकड़ में फैला यह मंदिर मुख्यमंत्री बनर्जी का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसे 143 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. 


CM बनर्जी ने 2019 में मंदिर की आधारशिला रखी थी, जो ओडिशा के बालासोर जिले में चंदनेश्वर मंदिर से आठ किलोमीटर दूर स्थित है. तब मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई थी कि जितने भक्त जगन्नाथ मंदिर दर्शन करने आते हैं, उतने ही यहां भी आएं. उनका दावा था कि जो सुविधाएं पुरी के समुद्री तटों पर भक्तों को मिलती हैं वही दीघा के बीच पर भी मिलेगी.


भगवान जगन्नाथ से जुड़ी है आस्था


बंगाली हिंदुओं की आस्था भगवान जगन्नाथ से जुड़ी हुई है. 12 सदी में संत चैतन्य महाप्रभु ने इस मंदिर का दौरा किया था. तब से तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए यह बंगाली हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल बन गया. जगन्नाथ रथ यात्रा बंगाल में बेहद पॉपुलर है. 


ब्रिटिश राज के दौरान मौजूदा ओडिशा में बस गए थे. उन्होंने बंगाली टूरिस्ट्स के लिए वहां धर्मशाला और होटल बनाए. इससे पुरी में न सिर्फ तीर्थयात्री बढ़े बल्कि टूरिज्म में भी तेजी से उछाल आया.