Dehradun Encounter Case: जब चौराहे पर युवक की SI से हुई बहस, पुलिस वालों ने सीने में उतार दी थीं 22 गोलियां
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Dehradun Encounter Case: जब चौराहे पर युवक की SI से हुई बहस, पुलिस वालों ने सीने में उतार दी थीं 22 गोलियां

गोरखपुर में प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या से करीब 12 साल पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसने देश को झकझोर दिया था. तब मामूली सी बात बात पर डेढ़ दर्जन पुलिसवालों ने युवक को 22 गोलियां मारकर मर्डर कर दिया था.  

प्रतीकात्मक तस्वीर

देवेंद्र कुमार, देहरादून: गोरखपुर में थर्ड डिग्री टार्चर के बाद प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या का मामला इन दिनों सुर्खियों में हैं. हालांकि पुलिस के उत्पीड़न का यह कोई पहला मामला नहीं है. देशभर में पुलिस के उत्पीड़न के इससे भी खौफनाक मामले सामने आते रहे हैं. देहरादून में हुए ऐसे ही एक फर्जी एनकाउंटर (Dehradun Encounter Case) के बारे में जानकर लोग आज भी कांप उठते हैं.

  1. युवक की कर दी गई थी बेरहमी से हत्या
  2. 3 जुलाई 2009 को हुई थी घटना
  3. जंगल में ले जाकर मार दी गईं 22 गोलियां

युवक की हुई बेरहमी से हत्या

करीब 12 साल पहले उत्तराखंड (Uttarakhand) के देहरादून (Dehradun) में हुई हुई ऐसी ही एक घटना ने पूरे देश को दहला दिया था. नौकरी ज्वॉइन करने के लिए देहरादून (Dehradun Encounter Case) गए MBA डिग्री होल्डर युवक की सड़क पार करने को लेकर एक सब-इंस्पेक्टर से बहस हो गई. इससे गुस्साए सब-इंस्पेक्टर ने दूसरे पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर युवक को जमकर टार्चर किया. पुलिस की पिटाई से जब युवक की हालत खराब हो गई तो जंगल में ले जाकर उसके सीने में 22 गोलियां दाग दी गई और फिर 'बदमाश' का एनकाउंटर दिखाकर फाइल बंद कर दी गई. 

3 जुलाई 2009 को हुई थी घटना

तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल 3 जुलाई 2009 को देहरादून (Dehradun Encounter Case) दौरे पर जा रही थीं. इसके लिए पुलिस ने शहर में जगह-जगह नाकेबंदी कर रखी थी. दोपहर को सर्कुलर रोड गुरुद्वारा के पास आराघर चौकी के इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर जी डी भट्ट ने एक मोटरसाइकिल पर आ रहे तीन युवकों को रोका. इनमें से एक युवक बागपत के खेकड़ा इलाके का रहने वाला रणबीर था. MBA करने के बाद वह पहली कंपनी में ज्वॉइनिंग के लिए देहरादून जा रहा था. उसने पुलिस से रास्ता देने की मांग की तो सब-इंस्पेक्टर जी डी भट्ट से उसकी बहस हो गई. 

पुलिस वालों ने युवक का किया टॉर्चर

आरोप है कि इसके बाद सब-इंस्पेक्टर ने फोन करके दूसरे थानों के पुलिसकर्मियों को इकट्ठा किया और रणवीर को एक गुप्त ठिकाने पर ले जाकर जमकर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया. पुलिस वालों की जबरदस्त पिटाई से रणवीर की हालत खराब हो गई. इससे पुलिस वालों को खुद के फंसने का डर सताने लगा. इसके बाद पुलिस वालों ने नई कहानी तैयार की. सब-इंस्पेक्टर जी डी भट्ट ने वायरलेस मेसेज प्रसारित किया कि उसकी सर्विस रिवाल्वर छीनकर तीन बदमाश भाग गए हैं. 

जंगल में ले जाकर मार दी गईं 22 गोलियां

इस वायरलेस मेसेज के बाद करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा पुलिसवाले बुरी तरह घायल रणबीर को गाड़ी में लादकर लाडपुर के जंगल में ले गए. वहां पर जमीन पर पड़े रणबीर पर 3 फुट की ताबड़तोड़ गोलियां बरसा (Dehradun Encounter Case) दी गई. पुलिस ने उन्हें एक-दो नहीं बल्कि 22 गोलियां मारी. मरने के बाद एक 'बदमाश' को एनकाउंटर में ढेर करने की बात कहकर वाहवाही भी लूटी गई. देहरादून के सीनियर पुलिस अफसरों ने उनकी इस बहादुरी पर शाबासी दी.

परिवार वालों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज

अगली सुबह जब यह जानकारी रणबीर के परिवार वालों को लगी तो वे बागपत से देहरादून पहुंचे और फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाकर दून हॉस्पिटल मोर्चरी के बाहर हंगामा किया. देहरादून पुलिस ने उनकी बात सुनने के बजाय लाठीचार्ज करके उन्हें वहां से खदेड़ दिया. तब तक यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आ चुका था. परिवार और मीडिया के दबाव में रणबीर के शव का पोस्टमार्टम करवाया गया तो उसमें मौत से पहले गंभीर चोट पहुंचाए जाने की पुष्टि हुई. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ हत्या का खुलासा

पीएम रिपोर्ट से पता चला कि रणबीर को कुल 28 चोटें लगी थीं और उसे 22 गोलियां (Dehradun Encounter Case) मारी गई थीं. ये गोलियां भी महज तीन फीट दूरी से चलाई गई थीं. हैरत की बात थी कि हत्याकांड के इतने स्पष्ट सबूत मिलने के बाद भी देहरादून के सीनियर पुलिस अधिकारी दोषी पुलिसकर्मियों के सपोर्ट में खड़े थे और मुठभेड़ को सही ठहरा रहे थे. हालांकि परिजनों के दबाव में सरकार ने इस घटना की पहले सीबीसीआईडी जांच कराई और बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया. 

ये भी पढ़ें- रणवीर फर्जी मुठभेड़ मामला: 18 पुलिसकर्मी दोषी साबित

18 में से 7 पुलिस वालों को उम्र कैद

इसके बाद घरवालों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मामला उत्तराखंड से दिल्ली में ट्रांसफर कर दिया. सीबीआई की जांच के बाद तीस हजारी कोर्ट ने इस फर्जी एनकाउंटर (Dehradun Encounter Case) मामले में 18 पुलिस वालों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास तक की सजा दी. हालांकि आरोपितों की अपील पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्ष 2018 में 18 में से 11 पुलिसवालों को बरी कर दिया. जबकि 7 की सजा जारी है.

अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा हुआ है. जिस पर निकट भविष्य में फैसला आने वाला है. इस मामले में सबसे अफसोस की बात ये रही कि फर्जी मुठभेड़ को अंजाम देने वाले निचले पुलिसकर्मियों को तो सजा मिली लेकिन उन्हें आखिरी वक्त तक तक शह देने वाले सीनियर पुलिस अफसरों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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