इन दो लोगों की नियुक्ति के बाद अब आरएसएस के छह सह सरकार्यवाह हो गए हैं.
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नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) के समापन पर रविवार को मनमोहन वैद्य और मुकुंद सी.आर. को अपने नए सह सरकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) नियुक्त किए. इन दो लोगों की नियुक्ति के बाद अब आरएसएस के छह सह सरकार्यवाह हो गए हैं. आरएसएस के चार अन्य सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी, कृष्ण गोपाल, दत्तत्रेय होसाबले और वी. भगैया हैं. आरएसएस ने एक ट्वीट में कहा, " सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी द्वारा डॉ. मनमोहन वैद्य और मुकुंद के नाम सह कार्यवाह के रूप में घोषित किए गए हैं."
शनिवार को भैया जी जोशी को पुन : आरएसएस महासचिव चुना गया
इससे पहले शनिवार को भैयाजी जोशी को संघ के देशभर के पदाधिकारियों ने आरएसएस महासचिव के रूप में तीन साल के कार्यकाल के लिए पुन: निर्वाचित किया. यह उनका चौथा कार्यकाल है. वर्ष 2009 से आरएसएस का महासचिव पद संभाल रहे जोशी अब 2021 तक इस पद पर बने रहेंगे. वह एच वी शेषाद्रि के बाद इतने लंबे कार्यकाल के लिए आरएसएस के सरकार्यवाह (महासचिव) रहने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. शेषाद्रि 1987 से 2000 तक इस पद पर रहे थे. संघ के महासचिव इसके कार्यकारी प्रमुख होते हैं जो संगठन के रोजाना के कार्यों की देखरेख करते हैं.
Manmohan Vaidya and Mukunda appointed as Joint General Secretaries of RSS in addition to the current Joint General Secretaries Suresh Soni, Krishna Gopal, Dattatreya Hosabale and V Bhagaiah. pic.twitter.com/NOqSDEX4zQ
— ANI (@ANI) March 11, 2018
'किसानों की समस्याओं के प्रति कोई भी सरकार असंवेदनशील नहीं हो सकती है'
किसानों की समस्याओं को संवेदनापूर्वक समझा जाना चाहिए और उनके लिए व्यावहारिक समाधान ढूंढा जाना चाहिए. यह बात रविवार को आरएसएस ने कही. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( आरएसएस) के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि कृषि नीति में बदलाव की आवश्यकता है और सरकार को सुनिश्चित करना है कि किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके. बहरहाल, उन्होंने कहा कि ऐसा करने में कुछ बाधाएं भी हैं.
किसानों के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी समस्याओं को संवेदनापूर्वक समझा जाना चाहिए और उनके लिए व्यावहारिक समाधान ढूंढा जाना चाहिए. आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में जोशी ने कहा, ‘‘ किसानों से जुड़े सवालों पर कोई भी सरकार संवेदनहीन नहीं हो सकती है और उसे किसानों के प्रति संवेदनशील बनना होगा और उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढने का रास्ता तलाशना होगा. इस पर सोचना और इसका समाधान खोजना उनका काम है.’’ उनका बयान इस मायने में महत्व रखता है कि महाराष्ट्र के अलग- अलग जिलों के हजारों किसान राज्य विधानसभा के बाहर प्रदर्शन के लिए मुंबई की तरफ मार्च कर रहे हैं.
(इनपुट - भाषा)