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मेरी बंदूक आपके हवाले... नक्सलियों के 'ब्रेन' ने काम करना किया बंद, अमित शाह का प्लान कामयाब !

Naxal Bhupati Surrender: महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ मुस्कुराते हुए इस शख्स को गौर से देखिए. इसके हाथ में हथियार है और यह सरकार को इसे सौंप रहा है. नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन की सफलता का यह सबसे बड़ा प्रमाण है. यह कमांडर भूपति है जिस पर लाखों का इनाम था. 

मेरी बंदूक आपके हवाले... नक्सलियों के 'ब्रेन' ने काम करना किया बंद, अमित शाह का प्लान कामयाब !

बाएं हाथ में बंदूक लेकर मंच पर आया ये शख्स कोई साधारण शख्स नहीं बल्कि एक खतरनाक नक्सली है, जो कुछ घंटे पहले ही शांति के रास्ते लौट आया है. मुस्कुराते हुए इसने गढ़चिरौली में प्रदेश के मुखिया सीएम देवेंद्र फडणवीस को अपने हथियार सौंप दिए. वीडियो देखिए, ऐसा लग रहा है जैसे मुस्कुराकर कहा हो कि अब इसकी जरूरत नहीं है. हिंसक माओवादियों के पॉलिटिकल ब्रेन कहे जाने वाले इस शीर्ष कमांडर वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने काम करना बंद कर दिया है. अपने 60 से ज्यादा साथियों को लेकर भूपति ने सरेंडर किया. यह घटनाक्रम काफी बड़ा है क्योंकि 2010 में माओवादियों के प्रवक्ता चेरूकेरी राजकुमार (आजाद) के मारे जाने के बाद भूपति ही माओवादियों की आवाज था. 

इस सरेंडर को ही खासतौर से महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सल अभियान का द एंड कहा जाने लगा है. भूपति स्टेट में माओवादियों का सबसे वरिष्ठ सदस्य है. ओडिशा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश की पुलिस उसे ढूंढ रही थी. वह 40 साल से एक्टिव था और लाल गलियारे में तमाम ऑपरेशनों का प्रभारी रहा. ऐसा लग रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक देश को नक्सल-मुक्त कराने का जो प्लान बनाया है, वह पहले ही हासिल हो सकता है. 

अधिकारियों का कहना है कि जिस तेजी से हालात बदल रहे हैं, सुरक्षा बल डेडलाइन से काफी पहले ही भारत को माओवाद से मुक्त करा लेंगे. गृह मंत्री ने साफ कहा है कि जल्द से जल्द नक्सली अपने हथियार डाल दें और मुख्यधारा में शामिल हो जाएं. राव के सरेंडर के कई कारण बताए जा रहे हैं. एक चीज साफ है कि नक्सलियों को खुद महसूस होने लगा है कि सुरक्षाबलों के खिलाफ उनकी लड़ाई व्यर्थ हो चुकी है. 

मई के बाद पैर उखड़े

मई में महासचिव केशव राव उर्फ बसवराजू के मारे जाने के बाद भूपति को लगने लगा कि अब माओवाद अभियान संकट में है. उसने सशस्त्र संघर्ष के सिद्धांत पर फिर से सोचने की बात कही थी. 

नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास के काम हो रहे हैं, सड़कें बनने से सुरक्षा बल तेजी से ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं. भूपति को भी अहसास होने लगा था कि महाराष्ट्र के सी-60 कमांडो (स्पेशल एंटी-माओवादी फोर्स) उस तक पहुंचने वाले हैं यानी उसका खेल खत्म हो चुका है. भूपति ने हाल ही में अपने सपोर्टरों से कहा भी था कि साथियो, अब एक ही विकल्प बचा है- सरेंडर. उसने एक बयान के जरिए सीपीआई (माओवादी) काडर से भी हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति की तरफ लौटने को कहा था. भूपति की पत्नी पर 1 करोड़ का इनाम था और उसने पिछले साल ही सरेंडर कर दिया था. 

हालांकि उसका प्रस्ताव माओवादियों को पसंद नहीं आया. अंदर के लोग उसे गद्दार कहने लगे. अंदर की रैंक में फूट पड़ गई.

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Anurag Mishra

अनुराग मिश्र ज़ी न्यूज डिजिटल में एसोसिएट न्यूज एडिटर हैं. वह दिसंबर 2023 में ज़ी न्यूज से जुड़े. देश और दुनिया की राजनीतिक खबरों पर अच्छी पकड़ रखते हैं. 18 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर ...और पढ़ें

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