Markandey Katju: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने हाल ही में जस्टिस गवई पर फेंके गए जूते की घटना को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने सोशल मीडिया पर इससे जुड़ा पोस्ट शेयर किया है.
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Supreme Court Of India: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर बीते 6 अक्टूबर 2025 को वकील राकेश किशोर ने जूता फेंकने का प्रयास किया था. घटना को लेकर पुलिस ने वकील को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं अब इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने जजों से कोर्ट में संयम बरतने और कम बोलने का आग्रह किया है. बता दें कि 71 साल के वकील राकेश किशोर ने जस्टिस गवई पर हिंदू धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया है.
राकेश किशोर के मुताबिक वह चीफ जस्टिस गवई की पिछले महीने खजुराहो में विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना के संबंध में सुनवाई के दौरान टिप्पणी से नाखुश थे. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अक्सर अदालती टिप्पणियों से भड़क उठती हैं. उन्होंने लिखा,' मैं जस्टिस गवई पर जूता फेंकने की निंदा करता हूं, लेकिन साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जजों की ओर से अदालत में बेहद ज्यादा बोलना ऐसी घटनाओं को ही न्योता देता है.'
मार्केंडेय काटजू ने एक ब्रिटिश अदालत में अपने अनुभव को शेयर करते हुए लिखा,' वहां लगभग सन्नाटा था, जज चुपचाप सुन रहे थे और वकील बेहद धीमी आवाज में बहस कर रहे थे. कभी-कभी जज किसी पॉइंट को स्पष्ट करने के लिए वकील से कोई प्रश्न पूछते थे नहीं तो वे पूरे समय चुप रहते थे. अदालत का माहौल ऐसा ही होना चाहिए. शांति, संयम और स्थिरता से भरा हुआ.'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में विवाद तब शुरू हुआ जब जस्टिस गवई ने खजुराहो में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा,'जाओ और भगवान से ही कुछ करने के लिए कहो. तुम कहते हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो. तो जाओ और उनसे प्रार्थना करो कि वे अपना सिर पुनर्स्थापित करें.' इसको लेकर काटजू ने इंग्लैंड के पूर्व लॉर्ड चांसलर सर फ्रांसिस बेकन का हवाला देते हुए लिखा,'जो जज बहुत बोलता है वो बेसुरा बाजा जैसा होता है.' उन्होंने लिखा,' जज का काम अदालत में सुनना है, बोलना नहीं, और फिर जो भी उन्हें उचित लगे, वह फैसला सुनाना है.'
मार्कंडेय काटजू ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि जजों को अदालत में संयम बरतना चाहिए और कम बोलना चाहिए.
मार्कंडेय काटजू ने कहा कि जज का काम अदालत में सुनना है, बोलना नहीं, और फिर जो भी उन्हें उचित लगे, वह फैसला सुनाना है.