मथुरा: यमुना के पानी को स्वच्छ बनाने के लिए NGT सख्त, प्रशासन ने की बड़ी कार्रवाई
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मथुरा: यमुना के पानी को स्वच्छ बनाने के लिए NGT सख्त, प्रशासन ने की बड़ी कार्रवाई

शहर में अब एक भी ऐसी इकाई को नहीं चलने दिया जाएगा जो जल प्रदूषण के लिए किसी भी प्रकार से जिम्मेदार हो. 

जिला प्रशासन ने यह कदम NGT के मिले दिशा-निर्देशों के तहत उठाया है.(फाइल फोटो)

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में यमुना के पानी को जहरीला बनाने के लिए पूरी तरह से जिम्मेवार बताई जा रहीं तीन दर्जन इकाईयों की बिजली-पानी की सप्लाई काट दी गई है. जिला प्रशासन ने यह कदम राष्ट्रीय हरित अधिकरण में दाखिल की गई एक याचिका की सुनवाई के दौरान मिले दिशा-निर्देशों के तहत उठाया है. यमुना प्रदूषण मुक्ति के लिए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) की अगुआई में गठित निगरानी समिति की सलाह पर एवं उप्र प्रदूषण नियंत्रण विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद इन इकाईयों द्वारा घनी आबादी से निकलकर औद्योगिक क्षेत्र में जाने के निर्देशों का विगत 20 वर्ष में भी अनुपालन न किए जाने के कारण यह निर्णय लिया गया है.

एडीएम (एफ एण्ड आर) रविंद्र कुमार ने कहा, ‘शहर में लंबे समय से संचालित किए जा रहे चांदी पॉलिशिंग संयंत्रों को आबादी से बाहर न ले जाए यह कार्रवाई की गई है. क्योंकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण में दाखिल की गई याचिका में कोर्ट ने इस प्रकार के आदेश दिए थे. जिनका अनुपालन किया जाना था. ’ उन्होंने बताया, ‘यह कार्रवाई तब तक जारी रहेगी, जब तक कि शहर में संचालित किए जा रहे चांदी पॉलिशिंग के सभी ढोल एवं वाईब्रेटर इकाईयां पूरी तरह से ठप न कर दी जाएं.  शहर में अब एक भी ऐसी इकाई को नहीं चलने दिया जाएगा जो जल प्रदूषण के लिए किसी भी प्रकार से जिम्मेदार हो. ’

गौरतलब है कि इन इकाईयों में चांदी व गिलट से बने आभूषणों पर घिसाई तथा चांदी की पॉलिश कर उन्हें फिर से नया बनाया जाता है.  इस प्रक्रिया में पोटेशियम साइनायड सहित कई अन्य जानलेवा रसायनों का प्रयोग किया जाता है. जिसकी वजह से यमुना की पानी जहरीला हो जाने के कारण न केवल जलीय जीवों पर घातक प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह पानी सभी प्रकार के जीव-जंतुओं एवं वनस्पति के लिए भी दुष्प्रभाव डालने वाला सिद्ध होता है. वहीं, उत्तर प्रदेश युवा उद्योग व्यापार मण्डल के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र वर्मा एवं महामंत्री विपुल पारीक का कहना है कि कोई भी व्यावसायी यमुना को प्रदूषित नहीं करना चाहता. 

जिन लघु इकाइयों के बिजली व पानी के कनेक्शन काटे गए हैं, उन व्यापारियों को प्रशासन की ओर से थोड़ा समय दिया जाना चाहिए था.  उन्होंने इकाइयों को स्थापित किए जाने के लिए जगह दिए जाने की मांग की है. ’ दूसरी ओर, यमुना में निर्मल, अविरल जल छोड़े जाने की मांग कर रहे यमुना रक्षक दल ने केंद्र सरकार से यमुना जल बंटवारे पर 1994 में हुए पुराने समझौते को रद्द कर नए सिरे से बंटवारा करने की मांग की है.

दल के सदस्यों ने बाबा जयकृष्ण दास की अगुआई में बैठक कर चेतावनी दी है कि अगर समय रहते केंद्र ने यमुना में शुद्ध जल छोड़ने की मांग नहीं मानी, तो वे सर्वोच्च न्यायालय में जाने को बाध्य होंगे.’

इनपुट भाषा से भी 

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