क्या महामारी को खत्म कर देगा ओमिक्रॉन? जैसा 100 साल पहले स्पेनिश फ्लू में भी हुआ
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क्या महामारी को खत्म कर देगा ओमिक्रॉन? जैसा 100 साल पहले स्पेनिश फ्लू में भी हुआ

समानताओं के बारे में एक्सपर्ट का अनुमान है कि कोरोना महामारी अब ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद खत्म होने की कगार पर है. पहली दोनों लहर के दौरान कोरोना और स्पेनिश फ्लू के एक जैसे लक्षण देखने को मिले. वहीं पहली लहर थोड़ी हल्की थी जबकि दूसरी ज्यादा घातक साबित हुई है.

ओमिक्रॉन का आना क्या अच्छे संकेत?

नई दिल्ली: ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर एक बात समान है जो कि 100 साल पहले दुनिया में आई महामारी के दौरान देखने को मिली थी. स्पेनिश फ्लू ने 1918 में कहर बरपाया था और दुनिया की करीब 35 फीसदी आबादी इसकी शिकार हुई थी. यही नहीं महामारी जब तक 1920 में खत्म हुई तब तक 1 से 6 फीसदी ग्लोबल पॉपुलेशन इस संक्रमण की वजह जान गंवा चुकी थी.

  1. ओमिक्रॉन से होगा महामारी का खात्मा?
  2. स्पेनिश फ्लू में भी दिखा था ऐसा ही पैटर्न
  3. म्यूटेशन से कमजोर हो रहा है वायरस

दो साल में 2 करोड़ लोगों की मौत

'आउटलुक' की खबर के मुताबिक भारत में स्पेनिश फ्लू की शुरुआत मुंबई से हुई थी और फिर पूरे देश में फैल गई. इसके बाद यहां दो साल के दौरान 2 करोड़ लोगों को इस बीमारी की वजह से जान गंवानी पड़ी. कुछ असमानताओं को छोड़ दें तो स्पेनिश फ्लू और कोरोना वायरस भारक संदर्भ में काफी समान नजर आते हैं.

समानताओं के बारे में एक्सपर्ट का अनुमान है कि कोरोना महामारी अब ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद खत्म होने की कगार पर है. पहली दोनों लहर के दौरान कोरोना और स्पेनिश फ्लू के एक जैसे लक्षण देखने को मिले. वहीं पहली लहर थोड़ी हल्की थी जबकि दूसरी ज्यादा घातक साबित हुई है.

ये भी पढ़ें: भारत में डेल्टा की तरह बढ़ रहे ओमिक्रॉन के केस, 80% विदेशी यात्री वेरिएंट के शिकार

एक जैसे थे लक्षण और असर

स्पेनिश फ्लू की दो लहरों के बाद म्यूटेशन हुआ और फ्लू हल्का होता चला गया. इस दौरान जो भी लोग संक्रमित हुए उनमें सिर्फ सर्दी जैसे हल्के लक्षण ही देखने को मिले. इसके बाद आई तीसरी लहर दूसरी से भी हल्की थी और ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. हालांकि अब तक भारत में चौथी लहर का कोई अनुमान नहीं है.  

मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा सबूतों को देखते हुए ऐसा लगता है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट महामारी को खत्म कर सकता है. मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा ने कहा कि कोरोना वायरस के म्यूटेशन का पैटर्न स्पेनिश फ्लू के पैटर्न से मिलता दिख रहा है. 

दोनों संक्रमण का समान पैटर्न

उन्होंने बताया कि स्पेनिश फ्लू का संक्रमण भी 2 साल में कमजोर हो गया था और फिर यह खत्म हो गया था. स्पेनिश फ्लू की भी दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक रही थी और तीसरी लहर में संक्रमण की दर बेहद कम रही थी और फिर यह गायब हो गया था. कुछ ऐसा ही पैटर्न कोरोना महामारी में भी देखने को मिल रहा है.

उन्होंने कहा कि अगर दोनों के बीच असमानताओं की बात करें तो साफ है कि उस जमाने में हमारे पास वैक्सीन नहीं थी लेकिन आज वैक्सीन मौजूद हैं. लेकिन तब इंटरनेशन ट्रैवल नहीं होता था जबकि आज दुनिया की आबादी लगातार एक-दूसरे के संपर्क में आ रही है. वरना आज के वक्त में और 100 साल पहले वाला वायरस एक ही तरह से बर्ताव कर रहा है. 

कमजोर होता जा रहा है वायरस

एम्स में प्रोफेसर डॉक्टर संजय राय ने कहा कि खतरनाक स्थिति में रहने के दौरान वायरस म्यूटेशन के साथ-साथ अपना असर खोने लगता है. वायरस संक्रमित व्यक्ति के साथ ही खत्म होता जाता है. डॉक्टर राय ने कहा कि यह सभी वायरस के साथ होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है जो स्पेनिश फ्लू के दौरान भी देखी गई थी.  

उन्होंने कहा कि फिलहाल मौजूद ग्लोबल डाटा के मुताबिक यह पूरे भरोसे का साथ कहा जा सकता है कि ओमिक्रॉन के लक्षण काफी हल्के रहने वाले हैं और इसके जरिए इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलेगी. 

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