Mayawati plan for Muslim and Dalit Votes: बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती (BSP Chief Mayawati) ने एक बार फिर अपने पुराने वोट बैंक (BSP Vote Bank) को जोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है और इसके लिए वह खास प्लान के तहत काम कर रही हैं. मायावती की इस रणनीति से समाजवादी पार्टी (SP) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को बड़ा नुकसान हो सकता है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) को अगले लोकसभा चुनाव सीधा इसका फायदा मिल सकता है और पार्टी एक बार फिर यूपी में फिर झंडे गाड़ सकती है.


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दलित-मुस्लिम वोट बैंक को साधने में जुटीं मायावती


बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) एक बार फिर दलितों, पिछड़ों, मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्‍पसंख्‍यकों को साधने में जुट गई हैं. मायावती ने दलित और मुस्लिम समाज को एकजुट होने की अपील की है और कहा है कि दलित, आदिवासियों, पिछड़े, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों को याद दिलाना चाहती हूं कि बाबा साहब आंबेडकर ने जातिवादी व्यवस्था के शिकार लोगों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए कानूनी अधिकार दिलाए हैं. इन लोगों को भाईचारा पैदा कर केंद्र और राजनीति की सत्ता की ‘मास्टर चाबी’ अपने हाथों में लेनी होगी.


मायावती के प्लान से समाजवादी पार्टी को होगा नुकसान


मायावती (Mayawati) अगर दलित, पिछड़े, मुसलमान और अन्य धार्मिक अल्‍पसंख्‍यक वोटर्स को साधने में कामयाब होती हैं तो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को नुकसान हो सकता है. अब अखिलेश यादव के सामने बड़ी चुनौती है, क्योंकि मायावती ने समाजवादी पार्टी के परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले मुस्लिम समाज पर फोकस किया है. अगर मुस्लिम वोटर्स मायावती के पक्ष में जाते हैं तो भले ही बसपा की जीत ना हो, लेकिन इसका सीधा नुकसान सपा को होगा.


मायावती के कदम से बीजेपी को होगा सीधा फायदा


बसपा सुप्रीमो मायावती(BSP Chief Mayawati) के इस कदम का सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हो सकता है, क्योंकि इससे समाजवादी पार्टी (SP) का वोट कट सकता है. आजमगढ़ उपचुनाव में ऐसा देखने को मिल भी चुका है. उस दौरान बीएसपी उम्मीदवार शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को 2.66 लाख वोट मिले थे, जबकि सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को 3.04 लाख वोट मिले थे. वहीं चुनाव में जीत हासिल करने वाले बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल निरहुआ ने 3.12 लाख वोट हासिल किए थे.


मैनपुरी में बसपा के नहीं होने का सपा को हुआ फायदा


वहीं, पिछले महीने मैनपुरी लोकसभा और खतौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा के नहीं होने से सपा (SP) को फायदा हुआ था और पार्टी ने जीत हासिल की थी. दोनों सीटों पर बसपा (BSP) ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे और यहा बीजेपी (BJP) को हार का सामना करना पड़ा था.राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस दौरान बसपा के पारंपरिक वोटर्स ने सपा के पक्ष में वोट किया था और पार्टी को इसका फायदा हुआ था. हालांकि, अगर अब मायावती दलित वोटर्स के साथ मुस्लिम वोटर्स को साधने में कामयाब हो जाती हैं तो सपा को नुकसान और बीजेपी को फायदा हो सकता है.


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