Medha Patkar: वीके सक्सेना का NGO उस समय गुजरात सरकार के सरदार सरोवर परियोजना का समर्थन कर रहा था. इसी दौरान मेधा पाटकर ने प्रेस रिलीज जारी कर NGO पर चेक बाउंस करने और हवाला लेन-देन में लिप्त होने का आरोप लगाया था.
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VK Saxena Defamation case: दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 24 साल पुराने मानहानि के मामले में गिरफ्तार किए जाने के कुछ ही घंटों बाद रिहा करने का आदेश दिया. यह मामला दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दर्ज कराया गया था जो उस समय एक NGO के प्रमुख थे. हुआ था हुआ यह था किपिछले बुधवार को सेशंस कोर्ट ने मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था क्योंकि वह समय पर प्रोबेशन बॉन्ड जमा नहीं कर पाई थीं.
इसके बाद शुक्रवार सुबह पुलिस ने उन्हें उनके घर से गिरफ्तार किया और कोर्ट ले जाते समय हिरासत में लिया गया. कोर्ट ने उन्हें 1 लाख रुपये का मुआवज़ा जमा कराने और प्रोबेशन बॉन्ड भरने की शर्त पर रिहा कर दिया.
नर्मदा आंदोलन से जुड़ा विवाद
रिपोर्ट्स के मुताबिक साल वर्ष 2000 में मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व कर रही थीं जो बड़े बांधों के खिलाफ एक सामाजिक आंदोलन था. वहीं वीके सक्सेना का NGO उस समय गुजरात सरकार के सरदार सरोवर परियोजना का समर्थन कर रहा था. इसी दौरान मेधा पाटकर ने प्रेस रिलीज जारी कर NGO पर चेक बाउंस करने और 'हवाला' लेन-देन में लिप्त होने का आरोप लगाया था.
मुकदमा और सजा का सफर
वीके सक्सेना ने 2001 में अहमदाबाद में मानहानि का मुकदमा दायर किया था जो 2003 में दिल्ली ट्रांसफर हो गया. 2023 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराया और 5 महीने जेल की सज़ा के साथ 10 लाख रुपये जुर्माना लगाया. बाद में सेशंस कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए अपील का मौका दिया.
सजा में छूट मगर प्रोबेशन न भरने पर वारंट
इस साल अप्रैल में कोर्ट ने उनकी सजा बरकरार रखी लेकिन उम्र और अपराध की गंभीरता को देखते हुए उन्हें प्रोबेशन पर रिहा किया और जुर्माना घटाकर 1 लाख कर दिया. पाटकर को 23 अप्रैल तक प्रोबेशन बॉन्ड भरना था जो नहीं करने पर कोर्ट ने गिरफ्तारी का आदेश दिया. शुक्रवार को उन्होंने हाईकोर्ट में दायर रिवीजन याचिका भी वापस ले ली.