मेडिकल एडमिशन घोटाला : जस्टिस नारायण शुक्ला पर चलेगा महाभियोग, SC ने की सिफारिश
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मेडिकल एडमिशन घोटाला : जस्टिस नारायण शुक्ला पर चलेगा महाभियोग, SC ने की सिफारिश

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने एक आंतरिक प्रक्रिया के तहत इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला को हटाने की सिफारिश करने का फैसला किया है. 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एसएन शुक्ला के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की गई हैं

नई दिल्ली : मेडिकल कॉलेज प्रवेश घोटाले में जांच के घेरे में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एसएन शुक्ला से कामकाज वापस ले लिया गया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने एक आंतरिक प्रक्रिया के तहत इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला को हटाने की सिफारिश करने का फैसला किया है. न्यायमूर्ति शुक्ला को एक मेडिकल कॉलेज प्रवेश घोटाले के मामले में हुई एक आंतरिक जांच में कदाचार का दोषी पाया गया था. अदालत के सूत्रों ने आज बताया कि सीजेआई अपनी सिफारिश के बारे में जल्द ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को लिख सकते हैं जो उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश को हटाने की आंतरिक प्रक्रिया के तहत जरूरी है.

  1. जज शुक्ला ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया
  2. लंबी छुट्टी पर गए हाई कोर्ट के जज शुक्ला
  3. मेडिकल कॉलेज प्रवेश घोटाले में पाए दोषी

साबित हुए आरोप
हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्किम हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसके अग्निहोत्री और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस पीके जायसवाल की तीन सदस्यीय आंतरिक समिति इस नतीजे पर पहुंची थी कि जस्टिस शुक्ला के खिलाफ शिकायत में लगाए गए आरोपों में काफी दम है और उन्हें हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करने की मांग करने के लिहाज से ये गंभीर हैं. समिति की रिपोर्ट के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने संबंधित आंतरिक प्रक्रिया के अनुरूप न्यायमूर्ति शुक्ला को या तो इस्तीफा देने या फौरन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की सलाह दी.

छुट्टी पर गए शुक्ला
सूत्रों ने बताया कि जब न्यायमूर्ति शुक्ला ने ऐसा करने से मना कर दिया तो सीजेआई ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से तत्काल प्रभाव से न्यायमूर्ति शुक्ला को दिए गए न्यायिक कामकाज को वापस लेने को कहा. खबरों के अनुसार न्यायमूर्ति शुक्ला लंबी छुट्टी पर चले गए हैं. इस तरह के मामलों में हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया से संबंधित आंतरिक प्रणाली के अनुसार, अगर न्यायाधीश इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने में अनिच्छा दिखाते हैं तो सीजेआई को संबंधित हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सलाह देनी चाहिए कि संबंधित जज को कोई न्यायिक कामकाज नहीं सौंपा जाए और राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री को सूचित किया जाएगा कि ऐसा किया गया है क्योंकि समिति ने जज के खिलाफ आरोपों को इतना गंभीर पाया है कि उनमें उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू करना जरूरी है. सूत्रों ने कहा कि न्यायमूर्ति शुक्ला ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है, इसलिए आंतरिक प्रणाली के अनुरूप सीजेआई को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को एक महाभियोग प्रस्ताव के माध्यम से न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहना होगा.  

कैसे हुई कार्रवाई
पिछले साल 1 सितंबर को चीफ जस्टिस को इस मामले में एडवोकेट जनरल ऑफ द स्टेट की शिकायत  मिली, जिसके बाद इस मामले की जांच के लिए तीन जजों की इन-हाउस कमेटी का गठन किया गया. मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्किम हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एस के अग्निहोत्री और एमपी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पी के जायसवाल इस कमेटी के सदस्य थे.

कमेटी ने अपनी जांच के बाद चीफ जस्टिस से सिफारिश की, 'जस्टिस शुक्ला ने न्यायिक मूल्यों को क्षति पहुंचाई है. उन्होंने एक जज की भूमिका को ठीक प्रकार से नहीं निभाया और अपने ऑफिस की सर्वोच्चता, गरिमा और विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने वाला काम किया है.' इन हाउस प्रक्रिया के अनुच्छेद (ii) के तहत चीफ जस्टिस अपने फैसले की जानकारी पीएम और राष्ट्रपति को देंगे और जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने की सिफारिश करेंगे. 

महाभियोग का सामना करने वाले चौथे जज
इससे पहले 1993 में शीर्ष अदालत के न्यायाधीश वी. रामास्वामी और 2011 में सिक्किम उच्च न्यायाल के प्रधान न्यायाधीश पी. डी. दिनाकरन और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही के जरिये उन्हें हटाया गया था.

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