HPSDRC की सदस्य पद से हटाई गईं मीना वर्मा को SC से नहीं मिली राहत
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HPSDRC की सदस्य पद से हटाई गईं मीना वर्मा को SC से नहीं मिली राहत

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य उपभोक्ता आयोग में मीना वर्मा की नियुक्ति को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया था.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की सदस्य पद से हटाई गईं मीना वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है. राज्य उपभोक्ता आयोग में मीना वर्मा की नियुक्ति को रद्द करने के हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मीना वर्मा की नियुक्ति मनमाने ढंग से हुई और इस नियुक्ति में कानून की अनदेखी की गई. दरअसल, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य उपभोक्ता आयोग में मीना वर्मा की नियुक्ति को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने एक माह के भीतर राज्य उपभोक्ता आयोग की सदस्य नियुक्त करने का आदेश दिया था.

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता और वकील सुनीता शर्मा की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया था. याचिकाकर्ता के मुताबिक, महिला सदस्य पद के लिए राज्य उपभोक्ता आयोग की ओर से जुलाई 2016 में साक्षात्कार लिए गए थे, जिसमें चयन कमेटी की ओर से तैयार किए गए पैनल के मुताबिक सुनीता शर्मा का नाम मीना वर्मा के ऊपर दर्शाया गया था. 

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लेकिन राज्य सरकार ने पैनल के विपरीत सुनीता शर्मा की बजाय मीना वर्मा को सदस्य के पद पर नियुक्ति देने के आदेश दे दिए थे. दोनों उम्मीदवारों के साक्षात्कार में बराबर 11-11 अंक थे. सुनीता शर्मा की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल देव सूद की दलील थी कि कानून के नजरिए से मीना वर्मा की नियुक्ति किसी भी तरीके से सही नहीं है. इसमें कानून के सिद्धांतों का सरेआम उल्लंघन किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के कई मामलों में पारित फैसलों के मुताबिक अंक बराबर होने की स्थिति में अधिक आयु वाले को प्राथमिकता दिए जाने का प्रावधान किया है. इसके अलावा वह साल 1992 से हाईकोर्ट, प्रशासनिक प्राधिकरण, राज्य उपभोक्ता आयोग और अर्द्ध न्यायिक प्राधिकरणों के समक्ष वकालत कर रही थी. उनका अनुभव मीना वर्मा से कहीं अधिक है. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट के समक्ष मीना वर्मा की ओर से दी गई दलीलों में कोई ठोस कारण न पाते हुए उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया था.

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