मेघालय: 15 दिन बाद भी कोयला खदान से राहत की खबर नहीं, आज से नेवी के गोताखोर उतरेंगे अभ‍ियान में
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मेघालय: 15 दिन बाद भी कोयला खदान से राहत की खबर नहीं, आज से नेवी के गोताखोर उतरेंगे अभ‍ियान में

15 द‍िन बीत जाने के बाद भी अब तक इस बचाव अभ‍ियान से कोई अच्‍छी खबर नहीं आई है. अब इसमें नेवी भ्‍ाी सहायता करने जा रही है.

जयंत‍िया ह‍िल्‍स पर 15 द‍िन से बचाव अभि‍यान जारी है. फाेटो : जी न्‍यूज

पूजा मक्‍कड़, शिलांग : 13 दिसंबर की सुबह 8 बजे मेघालय के ईस्ट जयंतियां हिल्स डिस्ट्रिक्ट में बनी अवैध कोयला खदान में काम कर रहे 16 मजदूर फंस गए. ये मजदूर कैसे फंसे ये सुनकर आप हैरान हो सकते हैं.  ईस्ट जयंतियां हिल्स के दूरस्‍थ इलाके में एक अवैध कोयला खदान है.  जमीन की सतह से 250 फीट नीचे एक गड्ढा और उसके बाद तकरीबन 70-100 फीट नीचे मजदूर चूहे के बिल जैसी खुदाई करके वहां से कोयला निकालने का काम कर रहे थे. यानी वर्टिकल खदान के बाद होरीजोनटल खदान में अलग अलग बिलों में कई मजदूर आधे बैठकर काम में लगे थे.

इस बीच नदी के पानी से कोई rat hole mines यानी खदान की दीवार वहां तक पहुंच गई. पानी इन बिलों में और फिर पूरी खदान में घुस गया. एक मजदूर किसी तरह बाहर आया और उसने हादसे की सूचना दी, लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को जंगलों के एक कोने में बनी कुएं जैसी खदान को तलाशने में शाम हो गई. एनडीआरएफ को सूचना दी गई जिसने 14 दिसंबर से रेस्क्यू का काम संभाल लिया.

नौसेना के प्रवक्ता ने एक ट्वीट में कहा कि आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम से 15 सदस्यीय गोताखोर टीम शनिवार की सुबह पूर्वी जयंतिया पर्वतीय जिले के सुदूरवर्ती लुम्थारी गांव पहुंचेगी. उन्होंने कहा,‘‘यह टीम विशेष रूप से डाइविंग उपकरण ले जा रही है, जिसमें पानी के भीतर खोज करने में रिमोट संचालित वाहन शामिल हैं.’’ पंप निर्माता कंपनी किर्लोस्कर बदर्स लिमिटेड और कोल इंडिया ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से मेघालय के उस सुदूरवर्ती कोयला खदान के लिये 18 हाई पावर पंप रवाना किये हैं, जहां 15 खनिक फंसे हुए हैं.

अब तक ऐसे पंप खोजें जा रहे हैं जो 100 हॉर्स पावर ताकत के हों, पानी निकाला जा सके और फिर ही कुछ पता चले कि कुछ बचा है या नहीं. एनडीआरएफ की 71 लोगों की टीम काम में लगी है, लेकिन अब करने को कोई काम नहीं है. एक ट्राली कुछ दिन तक नीचे जाकर पानी का लेवल चेक करती रही, लेकिन तब उसका आपरेटर भी नहीं आता. कुछ दिन तक 25 हार्स पावर के पंप लगाकर कोशिश की गई, लेकिन वो पंप नाकाफी थे, स्थानीय प्रशासन ने जो पंप दिए वो ज्यादातर खराब थे. 28 दिसंबर को कोल इंडिया के अधिकारियों ने इलाके का जायजा लिया. अगले तीन चार दिन में वो पंप यहां तक ला सकते हैं, लेकिन अब उससे होगा क्या, ये पता नहीं.  

वैसे 26 दिसंबर यानी हादसे के 15 दिन बाद पंप बनाना वाली एक कंपनी ने भी जगह का जायजा लिया. सुना है अब सरकार एयर फोर्स की मदद से जरुरी एक्वइपमेंट भेजने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी ये सब बातें हैं. जमीन पर एनडीआरएफ के लोग इंतजार कर रहे हैं और हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं. हां इतने दिनों में ये जरूर किया गया कि 250 फीट के नीचे और 40 फिट तक पानी में गोताखोर उतरे लेकिन वो उससे आगे नहीं, जा सकते. गहराई 400 फीट है या और ज्यादा अभी नहीं पता.

नेवी के जवान अब लगेंगे बचाव अभ‍ियान में
मेघालय में 15 दिन से फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब नेवी की डाइविंग टीम के 15 जवानों को उतारा जा रहा है. उन्‍हें विशाखापत्‍तनम से रवाना कर दिया गया है. ये टीम अपने स्‍पेशल इक्‍यूपमेंट भी ला रही है. जिससे पानी के अंदर खोजने में आसानी होगी. ऐसा माना जा रहा है कि ये टीम शनिवार को पहुंच जाएगी.

क्या हो सकता था
हवाई रुट से पंप अगर दूसरे दिन ही लग जाते तो शायद कोई बच‌ जाता, लेकिन 15 गरीब मजदूर , जंगल के ऐसे इलाके में जहां जाना ही चुनौती है, जिनके परिवार में इतनी सामर्थ्य भी नहीं कि वो खदान तक पहुंचे या सिस्टम तक मदद की गुहार लगाएं, ऐसे मजदूरों की सिस्टम को भी नहीं पड़ी है.

मजदूर जंगलों के बीच पाताल जैसी खदानों में,  अमानवीय हालात में काम करने जाते हैं. 2014 से एनजीटी के आदेश के बाद पूरे मेघालय में कोयला खनन प्रतिबंधित है, क्योंकि 2013 में सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को चेताया था कि कोयला खदान से नदी का पानी प्रदूषित हो चुका है और ये इंसानों के लायक नहीं रहा. पानी के जीव जंतु मर चुके हैं. नतीजा मेघालय नदियों और झरनों और बारिश से भरपूर होने के बाद भी पानी के संकट से जूझ रहा है. लेकिन पूरे जयंतियां हिल्स डिस्ट्रिक्ट में हर मोड़ पर रखे कोयले के ढेर और कारोबार की तस्वीरें साफ बता रहीं हैं कि ये अवैध काम बड़े सिस्टम से हो रहा है- जिसका मुनाफा कमाने के लिए यहां कई लोग हैं, लेकिन यहां न कानून है न मजदूरों के अधिकार.

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