शिलांग: मेघालय के पूर्व विधायक को एक पॉक्सो अदालत (POCSO Court) ने 25 साल की सजा सुनाई है. अदालत ने ये सजा 5 साल पहले एक नाबालिक लड़की के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में सुनाई है. इसके अलावा विशेष न्यायाधीश फेब्रोनस सिल्कम संगमा ने पूर्व विधायक पर 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.


दो बार दर्ज हो चुके हैं मुकदमे


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जानकारी के अनुसार पूर्व विधायक जूलियस दोरफांग (Julius Dorphang) पर 14 साल की नाबालिग लड़की के रेप करने का आरोप है. इस आरोप में पूर्व विधायक के खिलाफ दो बार मुकदमा भी दर्ज हो चुका है. दोरफांग विद्रोही समूह हाइनिवट्रैप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) के संस्थापक और चेयरमैन रहे हैं, जिसको प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसके बाद दोरफांग ने 2007 में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण भी किया था. 2013 में उन्होंने एक इंडिपेंडेंस केंडीडेट के रूप में महती विधानसभा से चुनाव लड़ा और विधायक बन गए.


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कोर्ट ने सुनाई 25 साल की सजा


नाबालिग से रेप के आरोप के चलते दोरफांग वो अंडरग्राउंड हो गया था. बाद में असम से विधायक को पकड़ कर री-भोई जिले की जेल में बंद कर दिया गया था. पिछली साल मेडिकल कारणों के चलते पूर्व विधायक को जमानत मिल गई थी. अब री-भोई जिले की डिस्ट्रिक्ट प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस कोर्ट ने पूर्व विधायक को 25 साल की सजा सुनाई है. 


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मददगारों को भी सुनाई गई सजा


अदालत ने अदालत ने पीड़िता से दुष्कर्म  मामले में तीन मददगारों दरिशा मैरी खरबमोन, ममोनी परवीन और उनके पति संदीप बिस्वा को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा इन तीनों आरोपियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.


पूर्व विधायक के वकील किशोर चंद्र गौतम ने अदालत का फैसला आने के बाद कहा कि वे पॉक्सो अदालत के फैसले को मेघालय उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.


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