महबूबा ने स्थानीय आतंकवादियों को बताया ‘भूमिपुत्र’, पाकिस्तान और अलगाववादियों से बात करने की मांग
महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'मेरा मानना है कि कहीं न कहीं हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ ही आतंकवादियों से भी वार्ता करनी होगी.'
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श्रीनगर: स्थानीय आतंकवादियों को 'भूमिपुत्र' करार देते हुए पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि उन्हें बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए. महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 'बंदूक संस्कृति' खत्म करने के लिए केंद्र को आतंकवादी नेतृत्व से वार्ता करनी चाहिए.
पार्टी के एक कार्यक्रम के बाद अनंतनाग में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'इस समय, पाकिस्तान और अलगाववादियों के साथ वार्ता होनी चाहिए. इसी तरह आतंकवादियों के नेतृत्व से भी वार्ता की जानी चाहिए क्योंकि उनके पास बंदूक है और केवल वहीं बंदूक की संस्कृति को खत्म कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि कहीं न कहीं हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ ही आतंकवादियों से भी वार्ता करनी होगी.' बहरहाल, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह 'बहुत जल्दबाजी होगी (आतंकवादियों के साथ वार्ता करना).' महबूबा ने कहा कि स्थानीय आतंकवादियों को हिंसा के रास्ते पर चलने से रोका जाना चाहिए.
इससे पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने 2016 जेएनयू राजद्रोह मामले में आरोप पत्र दायर करने के समय को लेकर सोमवार को सवाल उठाया था और कहा था कि लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए छात्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस आरोप पत्र में सात कश्मीरियों के भी नाम हैं.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख ने अपने ट्वीट में कहा था कि इसमें चौंकने वाली बात नहीं है. 2019 का आम चुनाव कुछ महीने बाद होने वाला है और हमेशा की तरह राजनीतिक लाभ लेने के लिए कश्मीरियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
उन्होंने कहा था कि आरोप पत्र का समय इससे अधिक संदिग्ध नहीं हो सकता. जब यूपीए सत्ता में थी तब अफजल गुरु को फांसी दी गई और अब तक जम्मू कश्मीर को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है.
बता दें दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित दस लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है जिसमें ये सात भी शामिल हैं. वह कार्यक्रम संसद भवन पर हमला मामले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था.
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह), 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने के लिए सजा) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के सहित विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
(इनपुट - भाषा)