जानें आतंकी ठिकानों पर बमबारी के लिए भारतीय वायुसेना ने क्यों चुना 'मिराज 2000'
मिराज 2000 फ्रांस की दसॉल्ट एरोस्पेस कंपनी द्वारा निर्मित एकल इंजन वाला बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है. भारत के पास वर्तमान में इसकी तीन स्क्वाड्रन हैं जो ग्वालियर में स्थित हैं.
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नई दिल्ली: सरकारी सूत्रों ने कहा कि सफलता की उच्च दर और लंबी दूरी के ठिकानों पर सटीक निशाना साधने तथा लेजर गाइडेड सहित कई तरह के बम गिराने और मिसाइल दागने की बेहतरीन क्षमता के चलते पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी ठिकाने पर हमले के लिए मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के बेड़े का इस्तेमाल किया गया.
मिराज 2000 फ्रांस की दसॉल्ट एरोस्पेस कंपनी द्वारा निर्मित एकल इंजन वाला बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है. भारत के पास वर्तमान में इसकी तीन स्क्वाड्रन हैं जो ग्वालियर में स्थित हैं. यह विमान लेजर गाइडेड सहित कई तरह के बम गिराने और मिसाइल दागने में सक्षम है.
इन वजहों से चुना गया 'मिराज 2000'
सूत्रों ने कहा कि सफलता की उच्च दर और लंबी दूरी के ठिकानों पर सटीक निशाना साधने तथा लेजर गाइडेड सहित कई तरह के बम गिराने और मिसाइल दागने की बेहतरीन क्षमता के चलते पाकिस्तान में जैश ए मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी ठिकाने पर हमले के लिए मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के बेड़े का इस्तेमाल किया गया.
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उन्होंने कहा कि इसके साथ ही भारतीय वायुसेना की अन्य युद्धक चीजों का 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान के भीतर पहले हवाई हमले के लिए इस्तेमाल किया गया. भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि मिराज 2000 थेल्स आरडीवाई 2 रडार से लैस है जो 100 प्रतिशत सटीक निशाने के साथ लक्ष्य को भेदने में सक्षम है.
हमले के लिए विमान को इसलिए प्राथमिकता दी गई क्योंकि यह लंबी दूरी के लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम है और आकलन यह था कि यह 100 प्रतिशत सफलता दर दर्ज कर सकता है. भारत ने मिराज 2000 को लगभग 30 साल पहले शामिल किया था और लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से इन्हें उन्नत किया जा रहा है.