कोई अदालत जम्मू-कश्मीर के निवास कानून में बदलाव नहीं कर सकती: मीरवाइज
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कोई अदालत जम्मू-कश्मीर के निवास कानून में बदलाव नहीं कर सकती: मीरवाइज

मीरवाइज उमर फारूक ने इस बात पर जोर दिया कि UNSC के प्रस्तावों के कारण जम्मू-कश्मीर के निवास (रेजिडेंसी) कानून को बदलना किसी अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है.

मीरवाइज उमर फारूक (फाइल फोटो)

श्रीनगर: हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने शुक्रवार को इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों के कारण जम्मू-कश्मीर के निवास (रेजिडेंसी) कानून को बदलना किसी अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है.

यहां जामा मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद सभा को संबोधित करते हुए मीरवाइज ने कहा, ‘यह किसी अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है कि वह जम्मू-कश्मीर के 1927 के वंशानुगत राज्य निवासी कानूनों से छेड़छाड़ करे, क्योंकि जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव साफ तौर पर कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को व्यक्ति के तौर पर अपनी अंतिम सत्ता पर फैसला करना है, और यह आत्मनिर्णय के अधिकार का इस्तेमाल करके होगा, यह ऐसा अधिकार है जिसका इस्तेमाल हमने अब तक नहीं किया.’’ 

मीरवाइज ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर और दुनिया के लोगों के सामने राज्य के लोगों से आत्मनिर्णय के अधिकार को लेकर प्रतिबद्धता जताई थी. 

उन्होंने पूछा,‘तो कोई अदालत संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और भारत सरकार की ओर से जताई गई उन प्रतिबद्धताओं को कैसे चुनौती दे सकती है जिसने संवैधानिक रक्षा उपायों का आकार ले लिया है?’

जम्मू-कश्मीर ‘दुनिया का माना हुआ विवाद’ : मीरवाइज 
मीरवाइज ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ‘दुनिया का माना हुआ विवाद’’ है और राज्य के लोग इस विवाद के सुलझने तक इसे कमजोर नहीं पड़ने देंगे. उन्होंने आरोप लगाया, ‘राज्य के निवासी कानून से छेड़छाड़ का मकसद राज्य की जनांकिकी को बदलकर, यहां बाहरी लोगों को बसाकर और फलस्तीन में इजरायली तौर-तरीके की तरह यहां स्थानीय लोगों को अपनी ही जमीन पर अल्पसंख्यक बनाकर पूरे विवाद को कमजोर करना है.’

मीरवाइज ने कहा कि ऐसा कदम बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पांच एवं छह अगस्त को राज्य के लोगों द्वारा की गई जबर्दस्त हड़ताल से यह दिखा दिया गया है. 

(इनपुट - भाषा)

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