कश्मीर घाटी (Kashmir) से 200 से अधिक युवाओं के गायब होने की खबर ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं.
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नई दिल्ली: कश्मीर घाटी (Kashmir) से 200 से अधिक युवाओं के गायब होने की खबर ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं. इन युवाओं के पास पाकिस्तानी वीजा था, लिहाजा सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान उन्हें आतंकी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित कर रहा है. जनवरी 2017 से पाकिस्तानी उच्चायोग ने जम्मू-कश्मीर के 399 युवाओं को पाकिस्तानी वीजा दिया है, जिनमें से 218 के बारे में अब कोई जानकारी नहीं है.
खुफिया सूत्रों ने हमारे सहयोगी चैनल WION को बताया कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के युवाओं को अपने जाल में फंसा रहा है, ताकि 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले की तर्ज पर घाटी में और आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा सके. इसके लिए युवाओं को बाकायदा प्रशिक्षित किया जाता है, उन्हें हर तरह के हथियार, गोला-बारूद चलाने की ट्रेनिंग की जाती है.
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कई मामले सामने आए
सुरक्षा बलों ने पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई आतंकवादियों को गिरफ्तार किया या ठिकाने लगाया है, जो दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास द्वारा जारी वीजा पर पाकिस्तान गए थे. 5 अप्रैल को मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 5 आतंकवादियों को मार गिराया था. जिसमें से तीन आदिल हुसैन मीर, उमर नजीर खान और सज्जाद अहमद (Adil Hussain Mir, Umar Nazir Khan, Sajjad Ahmed Hurrah) जम्मू-कश्मीर के रहने वाले थे और उन्होंने अप्रैल 2018 में पाकिस्तान उच्चायोग द्वारा जारी वीजा पर पाकिस्तान की यात्रा की थी.
पाकिस्तान उच्चायोग की भूमिका पर सवाल
इस हफ्ते की शुरुआत में भारत ने पाकिस्तान से अपने उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या अगले सात दिनों के अंदर 50 प्रतिशत घटाने को कहा था. सरकार की तरफ से कहा गया था कि इस फैसले की वजह पाकिस्तानी दूतावास के अफसर और कर्मचारियों द्वारा भारत में रहकर गैरकानूनी कामों को अंजाम देना है. वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस के DSP देवेंद्र सिंह के साथ पकड़े गए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी नवाब बाबू और आसिफ अहमद के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने यह पाया है कि पाकिस्तान उच्चायोग का एक सहायक शफाकत आतंकियों के संपर्क में था और हवाला लेनदेन में मुख्य भूमिका निभा रहा था.
NIA ने किया था बेनकाब
आतंकी फंडिंग से जुड़े एक अन्य मामले में NIA की जांच में पाकिस्तानी मिशन के फर्स्ट सेक्रेटरी प्रेस मुदस्सर इकबाल चीमा का नाम सामने आया था. सितंबर 2015 से नवंबर 2016 तक मिशन में रहे चीमा ने मुख्य आरोपी जहूर अहमद शाह वताली को 2 किश्तों में 70 लाख रुपए का भुगतान किया था. वताली पाकिस्तानी उच्चायोग से हुर्रियत नेताओं को पैसा भेजने में मुख्य किरदार निभाता था. इसके अलावा, पाकिस्तानी अधिकारियों पर जासूसी के आरोप भी लगे हैं. 31 मई को दिल्ली के करोल बाग में पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ा गया था, जिसके बाद उन्हें वापस पाकिस्तान भेज दिया गया. गौरतलब है कि इस स्टोरी को सबसे पहले हमारी सहयोगी चैनल WION ने ही ब्रेक किया था.