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मिजोरम: जिसे केले का वेस्ट समझकर फेंक देते थे, उसके इस्तेमाल से होगी बंपर कमाई, बस करना होगा ये काम

मिजोरम के सेरछिप जिले के जुंगलेंग में नए सामान्य सुविधा केंद्र (CFC) का उद्घाटन हुआ. यह खास सेंटर केले के छद्म तने का इस्तेमाल करके वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स बनाने में मददगार होगा.

मिजोरम: जिसे केले का वेस्ट समझकर फेंक देते थे, उसके इस्तेमाल से होगी बंपर कमाई, बस करना होगा ये काम

Mizoram News: मिजोरम के सेरछिप जिले के जुंगलेंग में नए सामान्य सुविधा केंद्र (CFC) का उद्घाटन हुआ. यह खास सेंटर केले के छद्म तने का इस्तेमाल करके वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स बनाने में मददगार होगा. यह प्रोजेक्ट नॉर्थ ईस्ट टेक्नालजी अनुप्रयोग एवं पहुंच केंद्र (एनईसीटीएआर) की आजीविका सुधार पहल का हिस्सा है, जिसे पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के फंड से वित्त पोषित किया जा रहा है. नई प्रोसेसिंग यूनिट केले के छद्म तने, जो आमतौर पर कचरा समझकर फेंक दिए जाते हैं को रेशे से बने हस्तशिल्प, शाकाहारी चमड़ा, हैंडमेड कागज और वर्मीकम्पोस्ट जैसे प्रोडटक्ट्स में बदलने का काम करेगी.

होगी बंपर कमाई

माना जा रहा है कि इससे स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा मिलने के साथ टिकाऊ खेती को प्रोत्साहन मिलेगा जिससे ग्रामीण इलाकों में नई आमदनी के सोर्स पैदा होंगे. हालांकि मिजोरम भारत के बड़े केला उत्पादक राज्यों में शामिल नहीं है, लेकिन यहां केला उत्पादन स्थिर रहा है. मार्च 2025 तक राज्य में केले का उत्पादन 140.502 हजार टन रहा, जो 2024 के आंकड़ों के करीब है. 2019 में यह 143.840 हजार टन तक पहुंचा था. बीते 10 सालों में यहां औसतन 140 हजार टन सालाना उत्पादन हो रहा है. आंकड़े बताते हैं कि मिजोरम में केला उत्पादन स्थिर है, लेकिन वहां प्रोसेसिंग और वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स की संभावनाओं का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं हुआ.

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वहीं, हितधारकों को उम्मीद है कि जुंगलेंग की यह सुविधा पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि अपशिष्ट को टिकाऊ आजीविका में बदलने का मॉडल बनेगी. साथ ही यह भारत के हरित नवाचार एजेंडे को मजबूत करेगी. इस पहल से न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे.

अधिकारियों का कहना है कि यह कदम मिजोरम की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में मददगार साबित होगा. ऐसी स्थिति में अगर इसे आगे चलकर विस्तार दिया गया, तो यह हमारी आर्थिक गतिविधियों के लिए शुभ संकेत साबित हो सकता है. (आईएएनएस)

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Shwetank Ratnamber

जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई और पॉलिटिकल साइंस में भी ग्रेजुएशन. 21 साल से पत्रकारिता में सक्रिय. राजनीतिक खबरों से ख़ास लगाव. फिलहाल ज़ी न्यूज (...और पढ़ें

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