'हिंदी को मान्यता दो फिर लो 2,152 करोड़...' मराठी भाषा- फडणवीस के बहाने स्टालिन ने किया बड़ा खुलासा?
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'हिंदी को मान्यता दो फिर लो 2,152 करोड़...' मराठी भाषा- फडणवीस के बहाने स्टालिन ने किया बड़ा खुलासा?

MK Stalin On Maharashtra CM Devendra Fadnavis NEP 2020: महाराष्‍ट्र में हिंदी भाषा को लेकर खूब घमासान मचा हुआ है. सीएम ने राज्य में हो रहे विरोध के बाद मराठी भाषा को मुख्य भाषा माना है, इसी के बहाने तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने केंद्र सरकार को घेरा है और बहुत बड़ा आरोप भी लगाया है. जानें पूरी बात..

'हिंदी को मान्यता दो फिर लो 2,152 करोड़...' मराठी भाषा- फडणवीस के बहाने स्टालिन ने किया बड़ा खुलासा?

MK Stalin On NEP 2020: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सोमवार को पूछा कि क्या केंद्र सरकार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस बयान का समर्थन करती है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत राज्य में मराठी के अलावा कोई अन्य भाषा तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य नहीं है? स्टालिन ने कहा कि हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने पर भारी आलोचना का सामना करने के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने अब दावा किया है कि राज्य में केवल मराठी भाषा अनिवार्य है. स्टालिन ने कहा, ‘‘यह गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के खिलाफ व्यापक निंदा के बाद उनकी घबराहट को साफ तौर पर दिखाता है.’’ 

सरकार से पूछे सवाल
स्टालिन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या केंद्र सरकार आधिकारिक तौर पर फडणवीस के इस रुख का समर्थन करती है कि एनईपी के तहत तीसरी भाषा के रूप में महाराष्ट्र में मराठी के अलावा कोई अन्य भाषा अनिवार्य नहीं है.

2,152 करोड़ रुपये का क्या है मामला?
उन्होंने पूछा, ‘‘यदि ऐसा है, तो क्या केंद्र सरकार सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश जारी करेगी कि एनईपी में तीसरी भाषा को अनिवार्य रूप पढ़ाने की आवश्यकता नहीं है?’’ इसके अलावा, उन्होंने कहा कि केंद्र को 2,152 करोड़ रुपये तमिलनाडु को जारी करने चाहिए, जो उसने इस आधार पर अनुचित रूप से रोके हुए हैं कि राज्य को अनिवार्य तीसरी भाषा की शिक्षा पर सहमति देनी होगी.

क्या है मामला?
महाराष्ट्र सरकार ने पहले घोषणा की थी कि एनईपी 2020 के तहत कक्षा 1 से 5 तक के स्कूलों में मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया जाएगा. इस फैसले के बाद वहां विपक्षी दलों, जैसे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने कड़ा विरोध किया. उनका कहना था कि यह मराठी की जगह हिंदी को थोपने की कोशिश है. इस विवाद के बाद फडणवीस ने सफाई दी कि मराठी ही अनिवार्य रहेगी, और हिंदी की जगह कोई और भारतीय भाषा भी चुनी जा सकती है.

हिंदी का विरोध कर रहे राज्य
महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने का फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हिस्सा था, जिसमें तीन भाषाओं का फॉर्मूला है—एक क्षेत्रीय भाषा (जैसे मराठी), अंग्रेजी, और तीसरी कोई भारतीय भाषा. लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह हिंदी को थोपने की कोशिश है, जिससे मराठी की अहमियत कम हो सकती है., वहीं, तमिलनाडु में भी हिंदी को अनिवार्य करने का पुराना विरोध रहा है. स्टालिन का कहना है कि केंद्र गैर-हिंदी राज्यों पर हिंदी थोपना चाहता है, जो उनकी भाषाई और सांस्कृतिक पहचान के खिलाफ है. (इनपुट भाषा से भी)

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