मोदी कैबिनेट की अहम बैठक आज, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के नवीनीकरण पर लग सकती है मुहर
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मोदी कैबिनेट की अहम बैठक आज, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के नवीनीकरण पर लग सकती है मुहर

पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने एनपीआर विरोध कर रही है. बता दें कि 2010 में मनमोहन सिंह सरकार में NPR बनाने की पहल शुरू हुई थी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर आज केंद्रीय कैबिनेट की मुहर लग सकती है. आज सुबह 10.30 बजे मोदी कैबिनेट (Cabinet Meeting) की मीटिंग होनी है. इस बैठक में NPR यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर पर चर्चा हो सकती है. कैबिनेट की बैठक में एनपीआर के नवीनीकरण को हरी झंडी मिलने की संभावना है. पॉपुलेशन रजिस्टर का मकसद देश के नागरिकों की व्यापक पहचान का डेटाबेस तैयार करना है. इसमें लोगों की संख्या गिनने के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी.

पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने एनपीआर विरोध कर रही है. बता दें कि 2010 में मनमोहन सिंह सरकार में NPR बनाने की पहल शुरू हुई थी.

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) और एनआरसी पर मचे घमासान के बीच केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) को एक बार फिर से धरातल पर उतारने में जुटी है. ऐसा बताया जा रहा था कि आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में एनपीआर के नवीनीकरण को हरी झंडी मिलने की संभावना है. पश्चिम बंगाल और केरल सरकार ने एनपीआर का भी विरोध किया है.  हालांकि यह एनआरसी से पूरी तरह अलग है. नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर) के तहत एक अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है.

क्या है एनपीआर?
एनपीआर का पूरा नाम नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है. देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना इसका मुख्य लक्ष्य है. इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी. तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था. 

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अब फिर 2021 में जनगणना होनी है. ऐसे में एनपीआर पर भी काम शुरू हो रहा है. एनपीआर और एनआरसी में अंतर है. एनआरसी के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छुपा है, वहीं इसमें छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है. बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है. एनपीआर के जरिए लोगों का बायोमेट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है.

(इनपुट आईएएनएस से भी)

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