नया विधेयक 17 जून से शुरू हो रहे 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में पेश किया जाएगा.
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नई दिल्ली: मोदी कैबिनेट ने फैसला किया है कि सरकार तीन तलाक पर नया बिल लाएगी. नया विधेयक 17 जून से शुरू हो रहे 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में पेश किया जाएगा.
संसद में पारित होने के बाद प्रस्तावित विधेयक इस साल की शुरुआत में लागू अध्यादेश की जगह लेगा. पिछले महीने 16वीं लोकसभा भंग होने के साथ यह विवादित विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह संसद द्वारा पारित नहीं हो सका और यह राज्यसभा में लंबित था.
राज्यसभा में पेश विधेयक लोकसभा भंग होने के बाद भी निष्प्रभावी नहीं होते हैं. लोकसभा द्वारा पारित और राज्यसभा में लंबित विधेयक हालांकि निष्प्रभावी हो जाते हैं.
विपक्ष ने विधेयक के प्रावधानों का विरोध किया
विपक्ष राज्यसभा में विधेयक के प्रावधानों का विरोध करता रहा है और राज्यसभा में सरकार के पास संख्याबल की कमी है. एक बार में तीन तलाक की परंपरा को दंडनीय अपराध बनाने वाले मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक का विपक्षी दलों ने विरोध किया. विपक्ष का दावा है कि अपनी पत्नी को तलाक देने वाले पति के लिए जेल की सजा कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है.
दो बार अध्यादेश लागू कर चुकी है सरकार
सरकार दो बार तीन तलाक पर अध्यादेश लागू कर चुकी है. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश 2019 के तहत, एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य रहेगा और ऐसा करने वाले पति के लिए तीन साल के कारावास का प्रावधान रहेगा.
सितंबर 2018 में लागू पिछले अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए पेश विधेयक को दिसंबर में लोकसभा ने तो मंजूरी दे दी थी लेकिन यह राज्यसभा में लंबित था. विधेयक के संसद के दोनों सदनों से मंजूरी नहीं मिलने पर नया अध्यादेश लागू किया गया था.