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Monkeypox: दुनिया में कोविड-19 महामारी के बाद एक और वायरल बीमारी 'मंकीपॉक्स' का अचानक फैलना दुनिया भर में चिंता का कारण बनता जा रहा है. कम से कम 19 देशों ने अब तक मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि की है. इसे लेकर लोगों के बीचे मिथक तेजी से और बेरोकटोक फैल रहे हैं. जानकारों का कहना है कि लोगों को अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. तो आइये आपको मंकीपॉक्स के बारे में फैले मिथक के बारे में बताते हैं, जिन्हें जान लेना बेहद जरूरी है.
नाम मंकीपॉक्स है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वायरस केवल बंदरों से फैलता है. मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. इससे कोई भी जानवर संक्रमित हो सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ मीट खाने से मंकीपॉक्स नहीं होगा! सोशल मीडिया पर मंकीपॉक्स के बारे में पोस्ट की बाढ़ सी आ गई है. विशेषज्ञों ने इसे मिथक बताया और सिरे से खारिज कर दिया है. संक्रमित जानवरों के सेवन से वायरस फैल सकता है लेकिन स्वस्थ, अच्छी तरह से पका हुआ मीट खाना कोई समस्या नहीं है.
ब्रिटेन में ऐसी अफवाह फैली हुई है कि कोरोनावायरस वैक्सीन एस्ट्रेजेनेका की वजह से मंकीपॉक्स फैल रहा है. लेकिन विशेषज्ञों ने इस फर्जी बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है. लोगों से ऐसी अफवाहों से बचने और इन्हें न फैलाने की अपील की जा रही है.
विशेषज्ञों ने कहा है कि सावधानी बरतना जरूरी है. लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि मंकीपॉक्स कोविड-19 से ज्यादा संक्रामक है. नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरपर्सन डॉ एनके अरोड़ा ने एएनआई को बताया, 'मंकीपॉक्स कोविड की तरह संक्रामक या गंभीर नहीं है. हालांकि, इसका प्रसार चिंता का विषय है. भारत में अब तक कोई भी संदिग्ध मामला सामने नहीं आया है.'
ये भी एक और फर्जी साजिश की थ्योरी है. रिपोर्टों के अनुसार, समलैंगिक / बाईसेक्सुअल पुरुषों में मंकीपॉक्स को लेकर तेजी से अफवाहों में वृद्धि हुई है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस भेदभाव नहीं करता. सीडीसी (यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल) डिवीजन ऑफ एचआईवी/एड्स प्रिवेंशन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जॉन ब्रूक्स ने कहा कि कोई भी मंकीपॉक्स संक्रमण फैला सकता है.
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