यूपी के मुरादाबाद में एक महिला को उसके पति ने दहेज ना लाने पर तीन तलाक दे दिया. महिला को पति ने कहा कि या तो कार लेकर आए या 10 रुपये नकद लाए. वरना उसकी जिंदगी से निकल जाए.
Trending Photos
नई दिल्लीः तीन तलाक जैसी कुप्रथा के चलते मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों से निजात दिलाने की कवायद कोर्ट से लेकर संसद तक में जारी है. लेकिन देश के किसी ना किसी कोने से आज भी तीन तलाक का कोई ना कोई मामला सामने आ ही जाता है. ताजा मामला यूपी के मुरादाबाद का है जहां एक महिला को उसके पति ने दहेज ना देने के चलते तीन तलाक दे दिया है. अब महिला ने अपने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
आपको बता दें कि एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट इस प्रथा को असंवैधानिक करार दे चुका है वहीं केंद्र सरकार भी इसे लेकर संसद में कानून बनाने की एक सीढ़ी पार कर चुकी है. लोकसभा में गुरुवार को Instant Triple तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को गैरकानूनी बनाने वाला Bill पास हो चुका है.
Moradabad: Woman named Varishaa says, 'my husband gave me #TripleTalaq over dowry, he told me either get a car or Rs.10 lakh cash, if you can't I will leave you.' pic.twitter.com/zKABVylADq
— ANI UP (@ANINewsUP) December 29, 2017
मुरादाबाद में वारिशा नाम की महिला ने शुक्रवार को शिकायत की कि उसके पति ने उसे तीन तलाक दे दिया है. महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस ने कहा कि मामले की जांच हो रही है और कानून के हिसाब से कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. महिला का आरोप है कि उसके पति ने दहेज के नाम पर उसे तलाक दिया है. महिला के मुताबिक पति ने कहा है कि अपने मायके से या तो एक कार लेकर आओ या फिर दस लाख रुपए.
मीडिया को दिए अपने बयान में वारिशा ने कहा कि 'मेरे पति ने मुझे दहेज को लेकर ट्रिपल तलाक दिया. उसने मुझे बोला कि या तो कार लाओं या फिर 10 लाख रुपए कैश लेकर आओ. अगर तुम मुझे नहीं छोड़ोगी तो मैं तुम्हे छोड़ दूंगा.'
गौरतलब है कि भारत में तीन तलाक पर बैन लगाने वाले विधेयक मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को गुरुवार को लोकसभा से मंजूरी मिल गई है. इस विधेयक की खास बात यह है कि इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन साल तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
बिल पेश करते हुए रविशंकर प्रसाद ने रखी ये दलील
तीन तलाक को आपराधिक करार देने वाले विधेयक को गुरुवार को लोकसभा ने पारित कर दिया. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को लेकर भरोसा दिया कि 'यह धर्म के बारे में नहीं है, बल्कि महिलाओं के आदर व न्याय के लिए है.' इस दौरान विपक्षी पार्टियों ने विधेयक का विरोध किया और इस पेश किए जाने पर आपत्ति जताई. विधेयक तीन तलाक या मौखिक तलाक को आपराधिक घोषित करता है और इसमें तलाक की इस प्रथा का इस्तेमाल करने वाले के खिलाफ अधिकतम तीन साल की जेल व जुर्माने का प्रावधान है. यह मुस्लिम महिलाओं को भरण-पोषण व बच्चे की निगरानी का अधिकार देता है.
तीन तलाक पर विधेयक की मुख्य बातें
1. तीन तलाक पर लाए गए विधेयक में कहा गया है कि यह विधान विवाहित मुस्लिम महिलाओं को लैंगिक न्याय और लैंगिक समानता के वृहतर सांविधिक ध्येयों को सुनिश्चित करेगा और उनके भेदभाव के प्रति सशक्तिकरण के मूलभूत अधिकारों के हित साधन में सहायक होगा.
2. इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति की ओर से उसकी पत्नी के लिये, शब्दों द्वारा, चाहे बोले गए हों या लिखित हों या इलेक्ट्रानिक रूप में हो या किसी अन्य रीति में हो. चाहे कोई भी हो, तलाक की उद्घोषणा अवैध एवं अमान्य होगी.
3. इसमें कहा गया है कि जो कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को इस प्रकार से तलाक की उद्घोषणा करता है, उसे तीन वर्ष तक कारावास और जुर्माने से दंडित किया जायेगा.
4. विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले तथा अन्य संबद्ध मामलों में 22 अगस्त 2017 को 3:2 के बहुमत से तलाक ए बिद्दत की प्रथा को निरस्त कर दिया था. यह निर्णय कुछ मुस्लिम पुरुषों की ओर से विवाह विच्छेद की पीढ़ियों से चली आ रही स्वेच्छाचारी और बेतुकी पद्धति से मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र करने में बढ़ावा देता है.
5. इसमें कहा गया है कि तलाक ए बिद्दत को निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और एआईएमपीएलबी के आश्वासनों के बावजूद देश के विभिन्न भागों से तलाक ए बिद्दत के माध्यम से विवाह तोड़ने की रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं. इसलिये यह अनुभव किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रभावी करने के लिये और अवैध विवाह विच्छेद की पीड़ित महिलाओ की शिकायतों को दूर करने के लिये कार्रवाई आवश्यक है.