1977 में दस्तक देने वाला इंसेफेलाइटिस अब तक ले चुका है 10 हजार जानें
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1977 में दस्तक देने वाला इंसेफेलाइटिस अब तक ले चुका है 10 हजार जानें

1977 में पहली बार जापानी इंसेफेलाइटिस ने गोरखपुर में दस्तक दी थी. तब से पिछले 40 साल में करीब 10 हजार मासूम बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस के चलते हो चुकी है.

इस बीमारी के कारण 2005 में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. (फाइल फोटो)

गोरखपुर : उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्वाचन क्षेत्र गोरखपुर पिछले 40 साल से इंसेफेलाइटिस की महामारी से जूझ रहा है. पिछले 40 साल में इस बीमारी के कारण 10,000 मौतें हो चुकी हैं. हर साल गोरखपुर जिले में हजारों मासूमों की मौत इस बीमारी के कारण हो रही है. 
इंसेफेलाइटिस की वजह से हर साल पांच-छह सौ बच्चों को अपनी जिंदगी से महरूम होना पड़ रहा है. इसी साल की बात करें तो 2017 में अब तक इंसेफेलाइटिस के चलते करीब 200 बच्चों की मौत हो चुकी है. पिछले छह दिनों में तो 66 बच्चे दिमागी बुखार के चलते मौत के आगोश में समा गए. 1977 में पहली बार जापानी इंसेफेलाइटिस ने गोरखपुर में दस्तक दी थी. तब से पिछले 40 साल में करीब 10 हजार मासूम बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस के चलते हो चुकी है.

इस बीमारी के कारण 2005 में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, डाटा वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले चालीस साल में करीब 40 हजार बच्चे इस बीमारी के चपेट में आए हैं. इसमें से करीब 10 हचार बच्चों की मौत हुई है. 2016 का आंकड़ा बताता है कि इस साल बीते सालों की अपेक्षा मौतों की संख्या 15 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है. 
1977 में पहली बार इस बिमारी ने दस्तक दी थी और उस साल 274 बच्चे बीआरडी में भर्ती हुए जिसमें से 58 की मौत हुई, तब से लेकर आज तक इस बीमारी लगातार मासूम बच्चों की मौत हो रही है. वर्ष 2005 में इस बीमारी का सबसे भयानक कहर पूर्वांचल ने झेला और यूपी में 1500 बच्चों की मौत हुई. 2006 में 528, 2007 में 554, 2008 में  537, 2009 में 556. 2010 में 541, 2011 में 545, 2012 में 532. 2013 में 576 और 2014 में 500 मासूम बच्चों की मौत इस दिमागी बुखार के चलते मौत हुई है.

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