फैसले के बाद बोलीं निर्भया की मां, 'कोर्ट ने मेरी बेटी के दर्द को समझा, मुझे कोई शिकायत नहीं है'
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फैसले के बाद बोलीं निर्भया की मां, 'कोर्ट ने मेरी बेटी के दर्द को समझा, मुझे कोई शिकायत नहीं है'

देश को हिला देने वाले बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप मामले में चारों गुनहगारों को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी है. इस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और निर्भया कांड नाम से चर्चित रहा था. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ मामले में अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों- मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को फांसी की सजा बरकरार रखी है. . 

निर्भया की मां बोलीं, 'कोर्ट ने मेरी बेटी के दर्द को समझा' (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देश को हिला देने वाले बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप मामले में चारों गुनहगारों को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी है. इस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और निर्भया कांड नाम से चर्चित रहा था. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ मामले में अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों- मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को फांसी की सजा बरकरार रखी है. . 

फैसले के बाद निर्भया के पिता ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की पूरी उम्मीद थी और सही मायने में अब सुप्रीम इंसाफ हुआ है. निर्भया के साथ-साथ समाज व देश को न्याय मिला है. 

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वहीं, निर्भया की मां ने कहा, 'ये फैसला सिर्फ हमारा नहीं था. यह फैसला पूरे समाज का था. मैं सभी का धन्यवाद करती हूं. आज निर्भया को इंसाफ मिला.' नाबालिग दोषी के छूटने पर निर्भया की मां ने कहा कि उन्हें यह गम पूरी जिंदगी रहेगा. वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है. हर शख्स को जीने का अधिकार है. 

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वकील के मुताबिक, जिसने जिंदगी दी है, उसे ही वापस लेने का अधिकार है. उन्होंने कहा, 'समाज में मेसेज देने के लिए मौत की सजा नहीं दी जा सकती. हम फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद रिव्यू पिटिशन दाखिल करेंगे.'

क्या हुआ था उस रात को 

6 दिसंबर 2012 की रात देश की राजधानी दिल्ली में 6 लोगों ने 23 साल की मेडिकल स्टूडेंट के साथ चलती बस में गैंगरेप किया. दोषियों में एक 17 साल का नाबालिग भी शामिल था. पीड़ित अपने दोस्त के साथ मूवी देखने के बाद घर वापस लौट रही थी. वे गंतव्य तक जाने के लिए बस में सवार हुए, जहां आरोपियों ने उसके दोस्त की पिटाई की और वहशियाना ढंग से पीड़ित के साथ गैंगरेप किया.

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29 दिसंबर को पीड़ित की मौत हो गई. ट्रायल के दौरान एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगा ली थी जबकि छठा आरोपी नाबालिग था, जिसे 3 साल तक जूवेनाइल होम में रखने का आदेश दिया गया था.

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साकेत स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इन चारों को गैंगरेप और हत्या के लिए दोषी करार दिया था. 13 सितंबर, 2013 को चारों को हत्या के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी और कोर्ट ने मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था.

चारों मुजरिमों ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी

इसके बाद इन्होंने हाई कोर्ट में अपील की थी और हाई कोर्ट से भी इनकी फांसी की सजा बरकरार रखी गई. इसके बाद इनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में चारों मुजरिमों ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रखी है.

सुप्रीम कोर्ट में 4 अप्रैल 2016 में बहस शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चारों दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन और एडवोकेट संजय हेगड़े को दोषियों के बचाव के लिए एमिकस क्यूरी बनाया. 

शीर्ष अदालत ने चारों दोषियों- मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की अपीलों पर 27 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखा था.चारों ने 13 मार्च, 2014 को उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराये जाने और सुनाई गयी मौत की सजा के खिलाफ अपील की थी. दिल्ली पुलिस ने दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी, वहीं बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि के होने और युवा होने की वजह से नरमी बरती जानी चाहिए. 

 

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