बांदाः मुख्तार अंसारी के परिवार का आरोप, चाय में मिला था जहर
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बांदाः मुख्तार अंसारी के परिवार का आरोप, चाय में मिला था जहर

जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने गईं उनकी पत्नी को भी दिल का दौरा पड़ा है. जेल में जैसे ही इन दोनों की हालत बिगड़ी तो जेल प्रशासन द्वारा उन्हें तुरंत ऑक्सीजन लगाकर जिला अस्पताल पहुंचाया गया. बांदा के अस्पताल से अब दोनों को गंभीर हालत में कानपुर रेफर किया गया है.

मऊ

नई दिल्लीः यूपी की बांदा जेल में बंद बाहुबली नेता और बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी को दिल का दौरा पड़ा उनकी हालत गंभीर है. बताया जा रहा है कि जेल में उनसे मिलने गई उनकी पत्नी को भी दिल का दौरा पड़ा है. लेकिन मुख्तार के परिवारवालों का आरोप है कि दोनों को चाय में जहर दिया गया था. परिवार के सदस्यों ने मीडिया को बताया कि दोनों जेल में चाय पी रहे थे इस दौरान ही दोनों की तबीयत बिगड़ी. आपको बता दें कि मंगलवार को बांदा जेल में मुख्तार अंसारी और उनकी पत्नी अचानक तबीयत खराब हो गई थी. जैसे ही इन दोनों की हालत बिगड़ी तुरंत ऑक्सीजन लगाकर जिला अस्पताल पहुंचाया गया. बांदा के अस्पताल से अब दोनों को गंभीर हालत में कानपुर रेफर किया गया है. गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी मऊ की सदर विधानसभा सीट पर 1996 से लगातार विधायक हैं. उन पर एक दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे हैं. 

  1. वर्तमान में बीएसपी से विधायक है मुख्तार अंसारी 
  2. अखिलेश ने अंसारी को सपा में लेने से किया था इंकार
  3. कौमी एकता दल का फिर बीएसपी में किया विलय

मुलायम के परिवार में हुए थे दो फाड़
मुख्तार अंसारी के चुनाव को लेकर प्रदेश की नजर इसलिए भी टिकी थी कि समाजवादी पार्टी में इनकी पार्टी कौमी एकता दल के विलय को लेकर मुलायम परिवार में ही दो फाड़ हो गया था. आखिरकार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ना सिर्फ मुख्तार अंसारी को पार्टी में लेने से मना किया बल्कि सभी बाहुबलियों को सिरे से नकारा भी.

बीएसपी को भाए मुख्तार
बाद में अंसारी बंधुओं ने बीएसपी का दामन था. बीएसपी ने न सिर्फ सदर विधानसभा सीट से मनोज राय का टिकट काटकर मुख्तार अंसारी को दिया बल्कि घोसी से इनके बेटे अब्बास अंसारी को वसीम खां उर्फ चुन्नू खां का टिकट काटकर दिया गया.  मुख्तार के भाई सिगबगतुल्लाह को भी गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से बीएसपी ने टिकट देकर पूर्वांचल में मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी.

मुख्तार जीते मगर बेटा भाई हारे
नेता मुख्तार अंसारी बीएसपी के टिकट पर उत्तर प्रदेश की मउ विधानसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे, मगर दो अन्य सीटों पर चुनाव लड़ रहे उनके बेटे और भाई को हार का सामना करना पड़ा था. मुख्तार की पार्टी कौमी एकता दल का विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी में विलय कर दिया गया था. मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी मउ जिले की घोसी सीट से जबकि भाई सिबगतुल्ला अंसारी गाजीपुर जिले की मुहम्मदाबाद (यूसुफपुर) सीट से चुनाव लड़ रहे थे, मगर इन दोनों को ही पराजय का मुंह देखना पड़ा था.

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मुख्तार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेन्द्र राजभर को 7464 मतों से हराया. घोसी सीट पर अब्बास को 81 हजार 295 जबकि बीजेपी प्रत्याशी फागू चौहान को 88 हजार 298 मत मिले. मुहम्मदाबाद (यूसुफपुर) में सिबगतुल्ला को बीजेपी प्रत्याशी अलका राय के हाथों हार का सामना करना पड़ा. अलका को एक लाख 22 हजार 156 जबकि सिबगतुल्ला को 89 हजार 429 मत मिले.

डबल मर्डर केस में मुख्तार अंसारी को अदालत ने बरी किया
सितंबर महीने में डबल मर्डर के एक मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने विधायक मुख्तार अंसारी समेत आठ लोगों को बरी कर दिया है. मुख्तार अंसारी आठ साल पहले मऊ के मशहूर ठेकेदार मन्ना सिंह और उसके साथी राजेश राय की हत्‍या में आरोपी थे. इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी. अदालत ने सुनवाई के बाद इस मामले में तीन लोगों को दोषी करार दिया है. अदालत का निर्णय सुनने के बाद मुख्‍तार अंसारी के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. गौरतलब है कि ठेकेदार मन्ना सिंह और उनके साथी राजेश राय की 29 अगस्‍त को 2009 हत्‍या कर दी गई थी.

मऊ में यूनियन बैंक के पास बाइक सवार बदमाशों ने मन्ना सिंह और राजेश राय की हत्‍या कर दी थी. इस मामले में पुलिस ने हरेंद्र सिंह की तहरीर पर मुख्तार अंसारी समेत 11 लोगों पर केस दर्ज किया था. इस मामले में फास्‍ट ट्रैक कोर्ट में आठ साल तक सुनवाई चली.

सुनवाई के दौरान 22 गवाह में से 17 गवाह कोर्ट में पेश किए गए. इस मामले में न्यायाधीश आदिल आफताब अहमद ने बुधवार को फैसला सुनाया. जज की तरफ से सुनाए गए फैसले में मऊ के विधायक मुख्तार अंसारी हनुमान पांडे, उमेश सिंह, संतोष सिंह अनुज कन्नौजिया, पंकज सिंह, उपेंद्र और रजनीश को बरी कर दिया. वहीं अमरेश कन्नोजिया, अरविंद यादव और जामवंत उर्फ राजू को सजा सुनाई गई. फैसला सुनाए जाने के दौरान इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे.

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