मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा महाराष्ट्र में बीजेपी-अजित पवार को सरकार बनाने के लिए दिए गए आमंत्रण मामले पर अपना आदेश मंगलवार सुबह 10.30 बजे के लिए सोमवार को सुरक्षित कर लिया है. इस तरह बीजेपी-अजित पवार को कम से कम एक दिन की राहत मिल गई है. उधर, शिवसेना (Shiv Sena), एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) ने राज्यपाल भवन में विधायकों की चिट्ठी देकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है. इससे पहले अपनी मजबूती दिखाने के लिए शिवसेना (Shiv Sena), एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) ने अपने विधायकों की परेड कराने का फैसला लिया है. तीनों दलों के 162 विधायकों की सोमवार शाम साढ़े छह बजे परेड होनी है. होटल ग्रैंड हयात में विधायकों की परेड होनी है.
विधायकों की परेड कराकर यह खेमा साबित करना चाह रहा है कि देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार अल्पमत में है. हालांकि यहां आपको स्पष्ट कर दें कि होटलों में या कहीं और परेड कराने से कुछ नहीं हो सकता है. विधानसभा में बहुमत साबित करने पर ही इसका महत्व है. बताया जा रहा है कि शिवसेना (Shiv Sena) के 56, कांग्रेस (Congress) के 44 और एनसीपी (NCP) के 54 में से करीब 51 विधायक होटल में मौजूद हैं. इसके अलावा समाजवादी पार्टी और कुछ निर्दलीय विधायक तीनों दलों के समर्थन में हैं.
एनसीपी (NCP) अभी भी अजित पवार को वापस लाने की कोशिश में
राष्ट्रवादी कांग्रेस (Congress) पार्टी (एनसीपी (NCP)) अपने बागी नेता व महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को वापस पार्टी में लाने के लिए सभी प्रयास कर रही है. अजित पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ सोमवार को मंत्रालय में अपना कार्यभार संभाल लिया. पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने चौथी बार अजित पवार के घर पर उनसे मुलाकात की और उन्हें एनसपी में वापस लाने के लिए मनाने की कोशिश की.
बाद में भुजबल के साथ दो अन्य वरिष्ठ नेता -दिलीप वलसे-पाटील और सुनील तटकरे भी मंत्रालय गए और अजित पवार के साथ चर्चा की. अजित पवार के नया कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ये तीनों नेता उनसे मिलने पहुंचे.
एनसपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी द्वारा यह अंतिम प्रयास है और इसके बाद इसे अजित पवार के विवेक और निर्णय पर छोड़ दिया जाएगा. रविवार को एनसपी के राज्य अध्यक्ष जयंत पाटील सहित कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अजित पवार से दो बार मुलाकात की थी. इसके साथ ही पवार के पारिवारिक सदस्यों -रोहित आर.पवार, सांसद सुप्रिया सुले-पवार ने भी सोशल मीडिया पर अपील की और अजित पवार को मनाने की कोशिश की.
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनाएगा फैसला
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र पर फैसला मंगलवार सुबह 10.30 बजे सुनाया जाएगा. कोर्ट में सरकार की ओर से सॉलिसिटर तुषार मेहता पेश हुए. उन्होंने कोर्ट से कहा कि वह 'बीजेपी को एनसीपी (NCP) विधायकों द्वारा दिया गया समर्थन का पत्र लेकर आए हैं, जिसके आधार पर राज्यपाल ने फैसला किया.' मेहता ने कहा, 'पत्र में साफ नजर आ रहा है कि अजित पवार ने एनसीपी (NCP) के 54 विधायकों के समर्थन वाला पत्र हस्ताक्षर के साथ राज्यपाल को सौंपा था.'
उन्होंने आगे कहा, 'अजीत पवार द्वारा 22 नवंबर को दिए गए पत्र के बाद ही देवेंद्र फडणवीस ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था, इसके साथ ही पत्र में 11 स्वतंत्र और अन्य विधायकों का समर्थन पत्र भी संलग्न था.'
288 सदस्यीय सदन में बीजेपी के 105 विधायक हैं, वहीं एनसीपी (NCP) ने 54 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी ने दावा किया कि अन्य 11 स्वतंत्र विधायकों के समर्थन के बाद उनके पास 170 विधायकों की संख्या है. इसके साथ ही मेहता ने महाराष्ट्र के राज्यपाल बी. एस. कोश्यारी के फैसले की न्यायिक समीक्षा पर भी आपत्ति जताई.
मेहता ने आगे कहा, 'इसके बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति को सूचना दी. जानकारी का हवाला देते हुए उन्होंने राष्ट्रपति से राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने का अनुरोध किया था.'
बीजेपी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल ने उस पार्टी का पक्ष लिया, जिसके पास 170 विधायकों का समर्थन है. रोहतगी ने कहा कि अन्य दलों ने ऐसा कभी नहीं कहा कि समर्थन पत्र पर विधायकों के हस्ताक्षर फर्जी हैं.
वहीं कांग्रेस (Congress) की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि उनके पास 150 विधायकों के समर्थन वाला हलफनामा है. उन्होंने कोर्ट को सूचित किया कि बीजेपी की शिवसेना (Shiv Sena) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन टूट गया है, क्योंकि बीजेपी, शिवसेना (Shiv Sena) को किए अपने वादे से मुकर गई. वहीं कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) की ओर से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि जो कुछ भी हुआ है, वह 'लोकतंत्र के साथ धोखाधड़ी' है. सिंघवी ने कहा, 'राज्यपाल विधायकों के हस्ताक्षर पर बिना कवरिंग लेटर के भरोसा कैसे कर सकते हैं?'
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