Mundka Fire Incident: मुंडका अग्निकांड में बड़ा खुलासा, ऐसे खतरे में डाली गई थी 100 से ज्यादा परिवारों की जान
Delhi Police On Mundka Fire Incident: मुंडका अग्निकांड में दिल्ली पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. मुंडका अग्नि कांड (Mundka Fire Incident) के एफआईआर के मुताबिक पुलिस ने लिखा है कि 100 से ज्यादा परिवारों की जान को जोखिम (Risk) में डाला गया.
More Than 100 Families Put At Risk: मुंडका अग्निकांड के बाद ज़ी न्यूज़ संवाददाता राजू राज और अभिषेक कुमार ने मुंडका के 3 फैक्ट्री से ग्राउंड रिपोर्ट कर ये दिखाने की कोशिश की कि क्या मुंडका में सभी फैक्ट्रियों में फायर सेफ्टी नॉर्म्स (Fire Safety Norms) का सही से इस्तेमाल हो रहा है या नहीं. इतनी बड़ी बिल्डिंग जिसका व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है उसमें आने-जाने के लिए केवल एक ही रास्ता है और वो भी गली में अंदर की तरफ से बना हुआ है.
बिल्डिंग का मालिक कौन है?
पूछताछ करने पर पता चला कि बिल्डिंग का मालिकाना हक सुशीला लाकड़ा (Sushila Lakra), उनके पुत्र मनीष लाकड़ा और उनकी पत्नी सुनीता लाकड़ा के नाम है जबकि Company Cofe Impex Pvt. Ltd. के मालिक हरीश गोयल और वरुण गोयल हैं, जिन्होंने उपरोक्त प्रोपर्टी को व्यवसायिक तौर पर किराए पर लिया हुआ है. इसे इस्तेमाल करने के बावजूद इतने सारे कर्मचारियों की सुरक्षा का कोई भी उपाय नहीं किया गया. बिल्डिंग के अंदर इमरजेंसी एग्जिट या अलग से एंट्रेंस का कोई प्रावधान नहीं बनाया हुआ है.
ये भी पढें: अनुच्छेद 370 पर उमर ने बीजेपी को घेरा, बोले- संघर्ष जारी रखेंगे; नहीं मानेंगे हार
जान-माल की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं
आग लगने की दशा में जान-माल की सुरक्षा का कोई उपाय ना होने के बावजूद चारों तरफ से बंद बिल्डिंग में इतने ज्यादा (करीब 100) कर्मचारियों को इकट्ठा करके अपने फायदे के लिए इरादतन उनकी जान ली है. कई लोगों को भी चोट पहुंचाकर उनके जीवन को खतरे में डाला गया. मुंडका के जिस गोदाम में आग लगी उससे महज 100 मीटर के दायरे में तीन फैक्ट्री में से एक जूते की फैक्ट्री (Factory) के गार्ड ने बताया कि फैक्ट्री बंद नहीं है. फैक्ट्री के ग्राउंड फ्लोर पर भारी मात्रा में चमड़े के जूते रखे थे. बिजली के बोर्ड खुले मिले और ग्राउंड फ्लोर पर आग बुझाने के लिए एक्सटिंग्विशर (Extinguisher) नहीं थे. सेफ्टी का कोई भी सामान नहीं था. फर्स्ट फ्लोर पर फैक्ट्री में मौजूद कुछ लोगों ने कहा कि वो फोटो शूट के लिए आए हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ मजदूर काम करते दिखाई दिए. उन्होंने बताया कि आग से बचने का कोई सामान नहीं है, जाने के लिए सिर्फ एक गेट है और ये मजदूर मार्च से यहां काम कर रहे हैं. यहां देखें ग्राउंड रिपोर्ट...
फर्नीचर की फैक्ट्री के गेट पर लगा था ताला
एक फर्नीचर की फैक्ट्री (Furniture Factory) के गेट के बाहर ताला लगा था. एक छोटा गेट भी था लेकिन अंदर से ताला लगा हुआ था. फैक्ट्री के एक शख्स ने फायर की एनओसी (NOC) के बारे में बिना गेट खोले बताया कि उसके लिए अप्लाई किया हुआ है. इस शख्स ने गेट खोलने की मांग को नजरअंदाज किया. मेन गेट के बंद होने के सवाल पर शख्स ने बताया कि कोरोना काल है, कोई भी अंदर ना आ जाए इसलिए बंद कर रखा है. रिपोर्टर्स ने पूछा कि फैक्ट्री का गार्ड कहां है तो उसने कहा कि वो छुट्टी पर है. आपको बता दें कि गार्ड रूम में ताला लगा था. ऐसा लग रहा था कि कई सालों से गार्ड रूम खुला ही नहीं है. इसके बाद लगातार नॉक करते रहने पर भी फैक्ट्री के अंदर मौजूद वो शख्स सामने नहीं आया और गायब हो गया.
ये भी पढें: आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में कैबिनेट फेरबदल, पीरिस फिर से बने विदेश मंत्री
तीसरी फैक्ट्री में कैसे थे हालात?
तीसरी फैक्ट्री फर्नीचर डिजाइनिंग (Furniture Designing) की थी. यहां पर फायर एक्सटिंग्विशर था लेकिन जिस बाल्टी में रेत होनी चाहिए थी, उसमें पानी था. पहले फैक्ट्री में मौजूद स्टाफ एनओसी की बात करता रहा. काफी बहस के बाद फायर एक्सटिंग्विशर (Fire Extinguisher) खोलकर दिखाया और बताया कि फायर के सभी सेफ्टी नॉर्म्स हैं.
LIVE TV